लोकेंद्र सिंह वैदिक, ब्यूरो हिमाचल।
हिमाचल प्रदेश को मशरूम का हब बनाने के लिए सरकार की ओर से प्रयास किया जा रहा है। वर्तमान में हिमाचल प्रदेश में मशरूम के पांच प्रोजेक्ट्स पर काम हो रहा है। ऐसे में अब सात नए मशरूम केंद्र स्थापित करने की योजना है। यह नए मशरूम केंद्र उन जिलों में स्थापित होंगे जहां पर शिवा पोजेक्ट लागू नहीं होता है। निचले क्षेत्रों में बागबानी को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से शिवा प्रोजेक्ट शुरू किया है। वहीं, ऊपरी जिलो में जहां पर शिवा प्रोजेक्ट लागू नहीं होता है, वहां पर सरकार की ओर से यह नए मशरूम केंद्र खोले जाएंगे।
मशरूम केंद्र खोलने के लिए बागबानी विभाग की ओर से केंद्र सरकार को भेजा गया है। ऐसे में अगर केंद्र से इस प्रस्ताव पर मुहर लग जाती हैं, तो हिमाचल प्रदेश में सात नए मशरूम केंद्र स्थापित करने के लिए काम शुरू हो जाएगा। इन केंद्रों में मशरूम उगाने की आधुनिक तकनीकों की जानकारी और प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। इन सात नए केंद्रों के खुलने से प्रदेश में मशरूम उत्पादन में बढ़ोतरी होने के आसार है। वर्तमान में मशरूम उप्तादन के लिए पांच प्रोजेक्ट शुरू किए गए है। इनमें एक प्रोजेक्ट सोलन जिला में लागू हो रहा है। वहीं, एक प्रोजेक्ट शिमला जिला के रामपुर, कांगड़ा जिला के बैजनाथ और पालमपुर और एक प्रोजेक्ट कुल्लू जिला में लागू किया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश में वर्तमान में मशरूम की दो किस्में उगाई जाती है। इनमें एक किस्म ढिंगरी मशरूम और दूसरी किस्म व्हाइट बटन मशरूम की है। भारत में सफेद बटन मशरूम की खेती पहले निम्न तापमान वाले स्थानों पर की जाती थी, लेकिन आज-कल नई तकनीकियों को अपनाकर इसकी खेती अन्य जगह पर भी की जा रही है। सरकार द्वारा सफेद बटन मशरूम की खेती के प्रचार-प्रसार को भरपूर प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
भारत में अधिकतर सफेद बटन मशरूम की एस-11 टीएम-79 और होस्र्ट यू-3 उपभेदों की खेती की जाती है। बटन मशरूम के कवक जाल के फैलाव के लिए 22.26 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है। इस तापमान पर कवक जाल बहुत तेजी से फैलता है। बाद में इसके लिए 14.18 डिग्री सेल्सियस तापमान ही उपयुक्त रहता है। इसको हवादार कमरे, सेड, हट या झोपड़ी में आसानी से उगाया जा सकता है। ढींगरी ऑयस्टर मशरूम की खेती वर्ष भर की जा सकती है। इसके लिए अनुकूल तापमान 20.30 डिग्री सेंटीग्रेट और सापेक्षित आद्र्रता 70.90 प्रतिशत चाहिए। ऑयस्टर मशरूम को उगाने में गेहूं व धान के भूसे और दानों का इस्तेमाल किया जाता है। यह मशरूम 2.5 से तीन महीने में तैयार हो जाता है। (एचडीएम)
हिमाचल में मशरूम के सात नए केंद्र खोलने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है। यह मशरूम केंद्र उन सात जिलों में खोलें जाएंगे, जिलो में शिवा प्रोक्जेक्ट लागू नहीं हो रहा है
आरके प्रुथी, निदेशक, बागबानी विभाग
सोलन में सबसे ज्यादा उत्पादन
आज कई किस्मों के मशरूम की खेती देशभर में हो रही है। मशरूम से कई तरह के उत्पाद भी तैयार हो रहे हैं। सोलन जिला में 60 के दशक से ही मशरूम उत्पादन व अनुसंधान पर कार्य हो रहा है। लिहाजा इसको मशरूम सिटी ऑफ इंडिया का भी दर्जा मिला हुआ है। देश का एकमात्र मशरूम अनुसंधान निदेशालय भी सोलन में स्थित है। डीएमआर का उद्देश्य देश के लोगों को मशरूम का मास्टर कल्चर देना, उत्पादन में नई तकनीक व नई किस्मों पर अनुसंधान कर किसानों को प्रशिक्षित करना है।
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