लीला चन्द जोशी
निरमंड
निरमंड विकास खंड के अंर्तगत हि0 प्र0 भवन एवं सड़क निर्माण मजदूर यूनियन ब्लॉक इकाई निरमंड सम्बन्धित सीटू का तीसरा सम्मेलन किसान मजदूर भवन निरमंड इकाई में हुआ।
इस सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए सीटू शिमला जिलाध्यक्ष कुलदीप सिंह ने कहा कि देश में शांतिपूर्ण तरीके से चले सयुंक्त किसान आंदोलन को एक साल पूरे होने पर देश की सरकार ने तीनों काले कृषि कानूनों को वापिस लेने का निर्णय लिया है जिसके लिए संयुक्त किसान आन्दोलनकारी बधाई के पात्र है और यह ऐतिहासिक किसान आंदोलन की ऐतिहासिक जीत है जिसमें 700 से अधिक किसान शहीद हो गए हैं और यह आंदोलन आजादी के बाद का सबसे बड़ा आन्दोलन है देश की मोदी सरकार खुले तौर पर पूंजीपतियों के पक्ष खड़ी हुई है और देश को बेचने के लिए आमादा है देश के सविंधान, जनतंत्र और धर्मनिरपेक्षता पर हमला किया जा रहा है पिछले सौ साल के अंतराल में बने 44 श्रम कानूनों को खत्म करके मजदूर विरोधी 4 श्रम संहिताएं बिजली संशोधन कानून 2021 इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। कोरोना काल का फायदा उठाते हुए मोदी सरकार ने मजदूरों के 44 कानूनों को खत्म करने, सार्वजनिक क्षेत्र को बेचने का कार्य कर रही है। सरकार के इन निर्णयों से बहुत अधिक संख्या में मजदूर व किसान सीधे तौर पर प्रभावित होंगे।
उन्होंने ने कहा है कि केंद्र की मोदी सरकार पूरी तरह पूँजीपतियों के साथ खड़ी हो गयी है व आर्थिक संसाधनों को आम जनता से छीनकर अमीरों के हवाले मुफ्त में करने के रास्ते पर आगे बढ़ रही है। राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन के तहत मोदी सरकार बैंक, बीमा, रेलवे, सड़क, बीएसएनएल ,एयरपोर्टों, स्टेडियम, बिजली , बंदरगाहों, ट्रांसपोर्ट, गैस पाइप लाइन, बिजली, सरकारी कम्पनियों के गोदाम व खाली जमीन, सड़कों, स्टेडियम सहित ज़्यादातर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण करके बेचने का रास्ता खोल दिया गया है। इस से केवल पूंजीपतियों, उद्योगपतियों व कॉरपोरेट घरानों को फायदा होने वाला है व गरीब और ज़्यादा गरीब होगा।
खुद को गरीबों की सरकार कहने वाली मोदी सरकार गरीबों को खत्म करने पर आमदा है। देश में महंगाई व बेरोजगारी पर काबू न करने से आम लोगों को अपना जीवन यापन करना मुश्किल हो गया है पिछले 1 वर्ष में 33 लाख बच्चे कुपोषण के शिकार हुए है। सबसे गरीब तबका व सबसे ज़्यादा महिलाएं जो मनरेगा मैं कार्य करती है मनरेगा कानून में बजट की कमी के कारण उन्हें रोजगार नहीं मिल पा रहा है और जिनको मनरेगा में काम मिल रहा है उन्हें समय पर वेतन नही मिलने से हताशा की स्थिति पैदा हो गई है दूसरे तरफ आवश्यक बस्तुओं के दामों में लगातार बढ़ोतरी से अपना जीवन यापन करना मुश्किल हो रहा है।देश में कोरोना महामारी के कारण उद्योग बन्दी व अन्य क्षेत्रों में काम बन्दी होने से मजदूरों का गांव की ओर रिवर्स माइग्रेशन हुआ है व बेरोजगार जनता के लिए मनरेगा रोज़गार का सबसे बड़ा साधन बनकर उभरा है। मनरेगा में बजट कम होने से समय पर रोजगार न मिलने से देश में बेरोज़गारी बढ़ रही है जिसने पिछले 45 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है देश की जनता व बेरोजगार युवाओं में हताशा पैदा कर दी है।
हिमाचल प्रदेश में जबसे भाजपा सरकार बनी है तब से लगातार मजदूर विरोधी फैसले ले रही है हिमाचल सरकार ने काम के घंटे 8 से 12 करने की अधिसूचना जारी की है जिससे मजदूरों को गुलाम बनाने का मसौदा तैयार किया गया है। मनरेगा मजदूरों को काम नहीं मिल पा रहा है ।निर्माण मजदूरों को मिलने वाले लाभ समय पर नहीं दिया जा रहे हैं ।हिमाचल प्रदेश के मजदूरों को 15वें श्रम सम्मेलन के निर्णय के हिसाब से नहीं मिल रहा है और वेतन को महंगाई व उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के साथ नहीं जोड़ा जा रहा है।
सम्मेलन मैं 33 सदस्यों की कमेटी का गठन किया गया जिसमें सनी राणा को अध्यक्ष, परस राम ,परमेन्द्र , मीना , सुमित्रा को उपाध्यक्ष अमित को महासचिव, राम दास, कृपाल, मान सिंह को सचिव कश्मीरी को कोषाध्यक्ष मोहर सिंह, धनवीर, गंगा राम, रत्न, गुरदयाल, मनोहर, भाग चंद, यशवंत, ब्रिज लाल, ज्वाला, चूड़ा राम, सालिग राम, शीला, टीकम सुख, देवी चंद, बुद्ध राम, राजकुमारी, सुरत राम, जोगिंद्र, मीना राम, कृष्णा, भीष्म को सदस्य चुना गया । सम्मेलन में निर्णय लिया गया कि 2 दिसंबर को शिमला में निर्माण मजदूरों की रैली के लिए वार्ड वाइज बैठक करके यूनियन मजदूरों को शिक्षित करते हुए सैंकड़ों की संख्या में निर्माण मजदूर भाग लेंगे।
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