अंबेडकर स्टुडेंट एसोसिएशन हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई ने किया मनुस्मृति दहन।

प्रादेशिक ब्यूरो हिमाचल।
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय अम्बेडकर स्टुडेंट असोसिएशन इकाई ने अम्बेडकर चौक चौड़ा मैदान में बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर के प्रतिमा के समक्ष मनुस्मृति का दहन किया, मनुस्मृति का दहन करते समय अम्बेडकर स्टुडेंट असोसिएशन हिमाचल प्रदेश राज्य,अध्यक्ष अनिल मंगेट, सचिव प्रेम चौहान, राज्य संयोजक अमित वर्मा और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई के अध्यक्ष अजय रान्टा भी उपस्थित रहे, हिमाचल प्रदेश अम्बेडकर स्टुडेंट असोसिएशन के राज्य अध्यक्ष एडवोकेट अनिल मंगेट ने मनुस्मृति का दहन करते हुए लोगों को संबोधित किया उन्होंने कहा कि मनुस्मृति समाज को वर्ण व्यवस्था, ऊँच नीच, जाति भेद तथा लिंग के आधार पर समाज को विभाजित करती है जिसके कारण बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर ने 25 दिसम्बर 1927 को इसका बहिष्कार किया था और मनुस्मृति का दहन किया था और हम आज भी इस प्रकार के समाज विरोधी ग्रंथो का विरोध करते हैं। 
कैम्पस अध्यक्ष अजय ने कहा कि हम मनुस्मृति का दहन करके समाज को समता और वर्गविहीन समाज की परिकल्पना करते हुए बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर जी द्वारा लिखित संविधान पर चलने का सभी जनों से आग्रह करते हैं। 
राज्य संयोजक अमित वर्मा ने कहा कि देश और प्रदेश में कुछ ताकतें मनुस्मृति के संरक्षण हेतु समाज को बांटने का काम कर रही है लेकिन हम भारतीय संविधान की सुरक्षा करते हुए समाज विरोधी उन ताकतों की कड़ी आलोचना करते हैं और विरोध करते हैं। 
प्रदेश सचिव प्रेम चौहान ने कहां कि जिस ग्रंथ में *"ढ़ोल, शूद्र, ग्वार पशु, नारी।*
*सब ताड़न के अधिकारी।"*
की बात कही जाती है वह ग्रंथ समाज प्रचलन में कैसे कल्याणकारी हो सकते हैं यह सिर्फ और सिर्फ़ पशुता का प्रमाण देते हैं और अम्बेडकर स्टुडेंट असोसिएशन इसका कड़ा विरोध करती है और 25 दिसंबर को प्रतिवर्ष भारतीय संविधान के सम्मान में इसका दहन किया जायगा।
मनुस्मृति दहन के उपलक्ष पर राज्य अम्बेडकर स्टुडेंट असोसिएशन के सलाहकार सुभाष बौद्ध, दीप चंद, जगदीश, सुशील, और अन्य सदस्य उपस्थित थे।

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