महेंद्र सिंह।
विशेष ब्यूरो निरमण्ड।
अखण्ड भारत दर्पण।
हिमाचल दुग्ध उत्पादक संघ ने अपनी समस्याओं को लेकर प्रबंधक दुग्ध संयंत्र केंद्र दत्तनगर के माध्यम से सरकार को ज्ञापन सौंपा। हम सब जानते है कि हिमाचल एक पहाड़ी राज्य है और इसकी 90% आबादी गांव में रहती है। जिनका मुख्य पेशा कृषि व बागवानी है ।इसके साथ अनुपूरक आजीविका के तौर पर पशुपालन भी करते हैं।परंतु कुछ इलाके ऐसे भी हैं जहां पशुपालन पूरी तरह से एक व्यवसाय और उनकी जीविकोपार्जन का साधन बन चुका है। पशुपालकों में भी दुग्ध उत्पादन आजीविका का मुख्य साधन है। परंतु खेद का विषय है कि पशुपालन और पशुपालक आज भी हाशिए पर और सरकार की प्राथमिकताओं में नहीं आते हैं ।यह एक उपेक्षित क्षेत्र है इसके लिए सरकार द्वारा आधारभूत ढांचे की कमी है या दुग्ध उत्पादक और दुधारू पशुओं से संबंधित समस्याओं की सुनवाई ना के बराबर है। दुग्ध उत्पादक संघ के महासचिव देवकी नंद ने सोमवार को दुग्ध संयंत्र केंद्र दत्तनगर में दुग्ध उत्पादक संघ की समस्याओं के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि -1.पिछले काफी समय से बाजार में मिलने वाले पशु आहार (फीड )की कीमतों में काफी वृद्धि हो चुकी है जिसके कारण दुग्ध उत्पादक की लागत बढ़ गई है।
2.दुग्ध सोसाईटी के जरिए दिए जाने वाले दूध की बुनियादी कीमत बहुत ही कम है।
4. दूध एकीकरण के लिए कलेक्शन सेंटर का अभाव है।
उन्होंने दुग्ध उत्पादक संघ की ओर से सरकार के मांग की है कि -
1 दूध का न्यूनतम समर्थन मूल्य ₹40 प्रति लीटर किया जाए।
2. दूध की पेमेंट हर महीने 10 तारीख से पहले दी जाए।
3. किसानों को पशुपालन के लिए प्रोत्साहित करने हेतु और पशु आहार को अनुदान पर देने और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत उपलब्ध करवाया जाए।
4. सभी दुग्ध सोसायटियों में दूध की गुणवत्ता मापने की मशीन उपलब्ध कराई जाए।
5. दूध एकीकरण करने के लिए ब्लॉक स्तर पर नए कलेक्शन सेंटर खोले जाए।
6. दुधारू पशुओं के कृत्रिम गर्भाधान के लिए पशु औषधालय में उन्नत किस्म के वीर्य तकनीक व दवाइयां उपलब्ध कराई जाए ।
7. पशु औषधालय में खाली पड़े पदों को शीघ्र भरा जाए।
8. मिल्क फेडरेशन के लिए 50 करोड से अधिक बजट का प्रावधान किया जाए।
9. नोगली व कोटलु में चिलिंग प्लांट खोले जाए ।
10. सोसाइटी के सचिवों का प्रशिक्षण समय -समय पर किया जाए।
11. मिल्क प्लांट व चिलिंग प्लांट में दूध का नापतोल किया जाए।
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