निरमण्ड में मनरेगा में 350 रूपये दिहाड़ी और 200 दिनो के रोजगार को लेकर हुआ धरना प्रदर्शन।

महेंद्र कौशिक, ब्यूरो निरमण्ड।

 ➡️यूनियन मजदूरों की मांगों को लेकर 1 से 12 अगस्त तक प्रचार अभियान चलाएगी ।
➡️13 अगस्त को निरमण्ड मे प्रदर्शन होगा।

हिमाचल भवन एवं सड़क निर्माण मजदूर यूनियन, ब्लाक यूनिट निरमण्ड ने खण्ड विकास अधिकारी के कार्यालय के बाहर मनरेगा मे 350 रूपये दिहाड़ी और 200 दिनो के रोजगार को लेकर धरना प्रदर्शन किया।
धरने प्रदर्शन को संबोधित करते हुए सीटू जिला शिमला अध्यक्ष कुलदीप डोगरा व हिमाचल भवन एवं सड़क निर्माण मजदूर यूनियन जिला शिमला महासचिव अमित, किसान सभा निरमण्ड ब्लाक अध्यक्ष देवकी नन्द, परस राम, कश्मीरी, परमिंदर ने कहा कि मोदी सरकार मजदूर, कर्मचारी, किसान, महिला, नौजवान, छात्र, दलित विरोधी नीतियां लागू कर रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार पूंजीपतियों के हित में कार्य कर रही है व मजदूर विरोधी निर्णय ले रही है। पिछले 100 सालों में बने 44 श्रम कानूनों को खत्म करके मजदूर विरोधी 4 श्रम संहिताएं अथवा लेबर कोड बनाना इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। 

मजदूर नेताओं ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार पूरी तरह पूंजीपतियों के साथ खड़ी हो गई है व आर्थिक संसाधनों को आम जनता से छीनकर अमीरों के हवाले मुफ्त में देने के रास्ते पर आगे बढ़ रही है। राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन के तहत मोदी सरकार  ने बैंक, बीमा, रेलवे, सड़क, बीएसएनएल, एयरपोर्टों, स्टेडियम, बिजली, बंदरगाहों, ट्रांसपोर्ट, गैस पाइप लाइन, बिजली, सरकारी कम्पनियों के गोदाम व खाली जमीन, सड़कों, स्टेडियम सहित ज़्यादातर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण करके बेचने का रास्ता खोल दिया है। इससे केवल पूंजीपतियों, उद्योगपतियों व कॉरपोरेट घरानों को फायदा होने वाला है और इससे गरीब और ज़्यादा गरीब होगा

उन्होंने ने कहा कि मनरेगा मजदूरों के साथ हिमाचल सरकार भेदभाव कर रही है और उन्हें अन्य दिहाड़ीदार के बराबर न्यूनतम वेतन भी नहीं दे रही है। राज्य सरकार ने इस वर्ष के बजट में जहां अन्य सभी मजदूरों के मानदेय व वेतन में कुछ न कुछ बढ़ोतरी की है लेकिन मनरेगा मजदूरों की दिहाड़ी में 1 रूपए की भी बढ़ोतरी न करके सरकार ने अपनी मनरेगा मजदूर विरोधी सोच व नीति का सबूत दिया है।  हालांकि केंद्र सरकार ने 9 रूपए की वृद्धि जरूर की है। इसके अलावा मनरेगा कानून के तहत निर्धारित 120 दिनों का काम किसी भी पंचायत में नहीं मिल रहा है। केंद्र सरकार ने मनरेगा के बजट में कटौती कर दी है जिस कारण मजदूरों को समय पर वेतन नहीं मिल पा रहा है और मनरेगा कार्य में लगने वाली सामग्री का भुगतान समय पर नहीं हो रहा है। 

मनरेगा कार्यों की असेसमेंट के नाम पर दैनिक मजदूरी में कटौती की जा रही है, जिसके कारण मज़दूरों को निर्धारित 212 रूपए की मज़दूरी भी वास्तव में नहीं मिल रही है। मनरेगा अधिनियम में मजदूरी निर्धारित करने के लिए विशेष प्रावधान रखा गया है जो की खेत मजदूर की दिहाड़ी से कम नही होनी चाहिये। खेत मजदूर की दिहाड़ी राज्य सरकार द्वारा नियत न्यूनतम मजदूरी दर के बराबर होगी। जो की 350 रूपये है और दिहाड़ी के नाम पर 212 की मजदूरी मजाक है।

इसके अलावा मनरेगा व निर्माण मजदूरों की सहायता के लिए बने हिमाचल प्रदेश राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड का वर्तमान सरकार द्वारा राजनीतिकरण किया जा रहा है। सरकार ने आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए बोर्ड के बजट में से करोड़ों रुपए प्रचार सामग्री पर खर्च कर दिए हैं और मुख्यमंत्री से लेकर विधायक वह सत्ताधारी पार्टी के नेता बोर्ड के पैसे से लोगों को इकट्ठा कर रहे हैं। वर्तमान भाजपा सरकार ने मजदूरों को मिलने वाली वाशिंग मशीन, सोलर लैंप, इंडक्शन हीटर, साइकिल, कंबल टिफिन, वाटर फिल्टर, डिनर सेट आदि समग्री देना बंद कर दिया है। लेकिन जो सामग्री पिछली सरकार के समय मे स्वीकृत हुई है उसे वितरित करने में एक तरफ देरी की जा रही है, तो दूसरी तरफ से राजनीति की जा रही है। जिस कारण 5 साल पहले स्वीकृत हुआ सामान मजदूरों को अभी तक भी प्राप्त नहीं हुआ है। यही नहीं बोर्ड से मजदूरों के बच्चों की पढ़ाई के लिए मिलने वाली शिक्षण छात्रवृत्ति, विवाह शादी, चिकित्सा, प्रसूति व पेंशन इत्यादि हेतु मिलने वाली सहायता राशि भी पिछले 2 सालों से जारी नहीं हो रही है। मजदूरों के पंजीकरण में भी देरी हो रही है। 

मजदूर नेताओं ने कहा कि मनरेगा व निर्माण मजदूरों की मांगों को लेकर यूनियन 1 से 13 अगस्त तक प्रचार अभियान चलाएगी और 14 अगस्त को निरमण्ड मे धरना प्रदर्शन होगा। धरने प्रदर्शन में चूड़ा राम, राजकुमारी, कृष्णा देवी, हेमंत, बुध राम, नीरथ राम, रामकृष्ण, वीर चंद, रमेश चंद,पवनेश, पुष्पा देवी, नीमु देवी, रामचंद्र, तारा चंद आदि मौजूद रहे।

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