ABVP एचपीयू इकाई ने विजय दिवस के मौके पर कारगिल युद्ध में शहीद रणबांकुरों को अर्पित किए श्रद्धासुमन।


अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई ने कारगिल युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए वीर जवानों को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की एवं उन जवानों को याद करते हुए उनके सम्मान में मुख्य पुस्तकालय के बाहर सुन्दर रंगोली बनाई | 
इकाई अध्यक्ष आकाश नेगी ने कहा कि कारगिल युद्ध भारतीय सेना के साहस और जांबाजी की ऐसी मिसाल है, जिस पर पूरे देश को गर्व है। हाड़ कंपाती सर्दी में करीब 18 हजार फीट की ऊंचाई पर कारगिल की लड़ाई लड़ी गई। इस युद्ध में  हमारे देश ने अपने 527 से ज्यादा वीर योद्धाओं को गंवाया था, जबकि 1300 से ज्यादा जांबाज देश के लिए लड़ते हुए जख्मी हुए थे। इस युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए अधिकांश जवान अपने जीवन के 30 वसंत भी नहीं देख पाए थे। इन शहीदों ने भारतीय सेना की शौर्य व बलिदान की उस सर्वोच्च परम्परा का निर्वाह किया, जिसकी सौगन्ध हर सिपाही तिरंगे के समक्ष लेता है। इन रणबाँकुरों ने भी अपने परिजनों से वापस लौटकर आने का वादा किया था, जो उन्होंने निभाया भी, मगर उनके आने का अन्दाज निराला था। वे लौटे, मगर लकड़ी के ताबूत में। उसी तिरंगे में लिपटे हुए, जिसकी रक्षा की सौगन्ध उन्होंने उठाई थी। जिस राष्ट्रध्वज के आगे कभी उनका माथा सम्मान से झुका होता था, वही तिरंगा मातृभूमि के इन बलिदानी जाँबाजों से लिपटकर उनकी गौरव गाथा का बखान कर रहा था।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने इस जंग की शुरूआत 3 मई 1999 को करते हुए कारगिल की ऊंची पहाड़ियों पर 5,000 सैनिकों के साथ घुसपैठ की थी और वहां कब्जा जमा लिया था। इसके जवाब में भारत ने ऑपरेशन विजय चलाया था । भारतीय सेना ने कारगिल युद्ध के दौरान चलाए इस आपरेशन विजय को सफलतापूर्वक अंजाम देकर भारत भूमि को घुसपैठियों से मुक्त कराया था | इसी की याद में ‘26 जुलाई’ का दिन हर वर्ष कारगिल दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि यह दिन है उन शहीदों को याद कर अपने श्रद्धा-सुमन अर्पण करने का, जो हँसते-हँसते मातृभूमि की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। यह दिन समर्पित है उन्हें, जिन्होंने अपना आज हमारे कल के लिए बलिदान कर दिया।

आकाश ने कहा कि कारगिल युद्ध  ऊँचाई पर लड़े जाने वाले विश्व के प्रमुख युद्धों में से एक है। इस युद्ध की प्रमुख बात दोनों देशों के पास परमाणु हथियार होना था पर कहते हैं कि कोई भी युद्ध हथियारों के बल पर नहीं लड़ा जाता है, युद्ध लड़े जाते हैं साहस, बलिदान, राष्ट्रप्रेम व कर्त्तव्य की  भावना से और हमारे भारत में इन जज्बों से भरे युवाओं की कोई कमी नहीं है। मातृभूमि पर सर्वस्व न्योछावर करने वाले अमर बलिदानी भले ही अब हमारे बीच नहीं हैं, मगर इनकी यादें हमारे दिलों में हमेशा- हमेशा के लिए बसी रहेंगी |

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