खाद्य पदार्थो पर लगाए गए जीएसटी को तुरंत वापिस ले केंद्र सरकार-डॉ.ओंकार शाद।

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) लोकल एरिया कमेटी रामपुर की बैठक शुक्रवार को चाटी कार्यालय में आयोजित की गई ।बैठक में सी.पी.एम. राज्य कमेटी के सचिव डॉ.ओंकार शाद उपस्थित रहे।
    बैठक में उपस्थित सदस्यों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में जो सभी आवश्यक वस्तुओं चावल, गेहूं, दूध पर  जीएसटी बढ़ोतरी के माध्यम से लोगों पर लादे गए बोझ से आम जनता पर मंहगाई की मार पडेगी।पार्टी इसकी कड़ी निंदा करती है। खाद्य वस्तुओं पर जीएसटी लगने के बाद बाजार में खाने पीने की वस्तुओं के दाम कई गुना बढ़ चुके हैं। जिस कारण गरीब आदमी को अपना परिवार का पालन पोषण करना मुश्किल हो जाएगा।
    उन्होंने कहा कि खाद्य पदार्थों पर औपनिवेशिक ब्रिटिश सरकार की कर नीति को स्वतंत्र भारत ने  त्याग दिया था।  इन पिछले 75 वर्षों में चावल, गेहूं, दाल आदि जैसे खाद्य पदार्थों और दही, पनीर, मांस, मछली, गुड़ जैसी दैनिक आवश्यक वस्तुओं पर कभी भी कर नहीं लगाया गया।  'आजादी का अमृत महोत्सव' वर्ष में यह भारतीय लोगों को मोदी सरकार का 'उपहार' है।
     जिन वस्तुओं पर जीएसटी बढ़ाया गया है, उनमें श्मशान शुल्क, अस्पताल के कमरे, लेखन स्याही आदि भी शामिल हैं। यहां तक ​​कि अपने बैंक खाते से अपनी बचत निकालने के लिए लोगों को बैंक चेक पर 18 प्रतिशत जीएसटी का भुगतान करना पड़ेगा।
       उन्होंने कहा कि लोगों की आजीविका पर यह क्रूर हमला तब किया गया है जब उपभोक्ता मूल्य सूचकांक 7 प्रतिशत से ऊपर और थोक मूल्य सूचकांक 15 प्रतिशत से ऊपर है, बढ़ती बेरोजगारी, गिरता रुपया, अभूतपूर्व व्यापार घाटा और लड़़खड़ाती जीडीपी के साथ वस्तुओं की कीमतें लगातार बढ़ती जा रही है। ये बढ़ोतरी लोगों की आजीविका को और ज्यादा बर्बाद कर देगी।राजस्व बढ़ाने के लिए, मोदी सरकार को अति-अमीरों पर कर लगाना चाहिए और आम लोगों पर अधिक बोझ नहीं डालना चाहिए।  दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ते अरबपतियों के अलावा, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कंपनियों ने 2021-22 में 9.3 लाख करोड़ रुपये का सामूहिक लाभ दर्ज किया है । यानि पिछले वर्ष की तुलना में 70 प्रतिशत अधिक और 2010-2020 के दशक के दौरान औसत लाभ से तीन गुना अधिक अर्जित किया है।  मोदी सरकार इन अति-अमीरों पर टैक्स लगाने की बजाय उन्हें टैक्स में और रियायतें और कर्जमाफी दे रही है। विलासिता के कई तरह के सामान जिन पर भारी कर लगाया जाना चाहिए था, उन पर मामूली जीएसटी है।  सोने की खरीद पर 3 फीसदी, हीरे पर 1.5 फीसदी, जबकि खाद्य पदार्थों पर 5 फीसदी है।
    उन्होंने कहा कि पार्टी केंद्र सरकार से मांग करती है कि खाद्य वस्तुओं पर जो 5 फीसदी जीएसटी को तुरंत वापिस लिया जाए ताकि जो मंहगाई बढ़ रही है उस पर रोक लग सके।
     सी.पी.एम. एरिया कमेटी रामपुर के सचिव देवकी नंद ने कहा कि इसके खिलाफ पार्टी 1 अगस्त से 15 अगस्त तक गांव- गांव में प्रचार अभियान चलाएगी तथा ब्लॉक स्तर पर विरोध प्रदर्शन किए जायेंगे।
    इस बैठक में कुलदीप,बिहारी सेवगी, पूर्ण, जगदीश,अमित,दिनेश,प्रेम,रंजीत उपस्थित रहे।

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