राज्यपाल विश्वनाथ आर्लेकर ने किया एबीवीपी की सात दशकों की यात्रा को दर्शाती पुस्तक ध्येय यात्रा का विमोचन।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सात दशकों की यात्रा को दर्शाती पुस्तक 'ध्येय यात्रा' पुस्तक का विमोचन मंगलवार दोपहर को शिमला के ऐतिहासिक गेयटी सभागार में हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर द्वारा किया गया।इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में अ.भा.वि.प. के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष, प्रो. नागेश ठाकुर एवं अ.भा.वि.प. के उत्तर क्षेत्रीय संगठन मंत्री विजय प्रताप विशेष रूप से उपस्थित रहे |
कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए माननीय राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर ने कहा कि यह पुस्तक अभाविप की स्थापना , वैचारिक अधिष्ठान, संगठन के स्वरूप एवं विकास क्रम, छात्र आंदोलन की रचनात्मक दिशा, राष्ट्रहित में साहसिक प्रयास, राष्ट्रीय-शैक्षिक एवं सामाजिक मुद्दों पर अभाविप का विचार, छात्र नेतृत्व, आयाम कार्य, प्रभाव, उपलब्धियों एवं वैश्विक पटल पर संगठन जैसे विषयों को अपने दोनों खंडों में समाहित करता है। अभाविप इस वर्ष अपने 75वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है और यह पुस्तक 75 वर्षों के सुनहरे इतिहास का उल्लेख करती है।
उन्होंने कहा कि अभाविप आज विश्व का सबसे बड़ा छात्र संगठन है और सिर्फ शिक्षा क्षेत्र में ही नहीं बल्कि सामाजिक क्षेत्र में भी विद्यार्थी परिषद ने नए आयाम स्थापित किए हैं। भारत एक युवा देश है और उत्तर क्षेत्रीय संगठन मंत्री युवा जिस भी ओर चलते हैं वो स्वयं अपनी राह बना लेते हैं।अनेकों युवाओं ने भारत विश्व पटल पर  नेतृत्व करे इस ध्येय को साकार करने हेतु अनेकों त्याग किए हैं|

इस पुस्तक में इतिहास के बहुत से विशेष कालखंडों का उल्लेख किया गया है जिसमें युवाओं की विशेष भूमिका रही है। कश्मीर काल खंड, आपातकाल का दौर, बांग्लादेश घुसपैठ आंदोलन, चिकन नेक आंदोलन, तीनबीघा आंदोलन, नक्सलवाद की समस्या जैसे कई महत्वपूर्ण इतिहास की घटनाओं का विस्तार से उल्लेख किया गया है, 

 इस कार्यक्रम के दौरान  श्रोताओं को सम्बोधित करते हुए अभाविप के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. नागेश ठाकुर ने कहा कि 9 जुलाई, 1949 को अस्तित्व में आया यह छात्र संगठन, विगत सात दशकों में, देश के हर जनहितकारी आंदोलन एवं जनकल्याणकारी कार्यों में अपनी भूमिका निभाता रहा है। यह पुस्तक, अभाविप के रचनात्मक, आंदोलनात्मक एवं प्रतिनिधित्वात्मक कार्यशैली से ‘राष्ट्र-पुनर्निर्माण’ के कार्य में संगठन द्वारा निभाई गई अपरिहार्य भूमिका का आलेख है। वर्तमान में 3900 से अधिक इकाइयों, 2331 संपर्क स्थानों, 21 हज़ार शैक्षणिक परिसरों में कार्यरत 32 लाख कार्यकर्ताओं और पूर्व में कार्यकर्ताओं की अनेक पीढ़ियों द्वारा पूरे मनोयोग से सींचे जाने का ही परिणाम है कि आज अभाविप विश्व के सबसे सशक्त छात्र संगठन के रूप में उभरा है। उन्होंने कहा कि ध्येय यात्रा का प्रकाशन कोई आत्म-स्तुति के लिए नहीं किया गया है। इसके पीछे यह उद्देश्य है कि आगामी कार्यकर्ताओं को कार्य की प्रेरणा और आधार मिल सके। साथ ही छात्र संगठन का जो विशिष्ट दर्शन जो अभाविप ने विकसित किया है, उससे लोग परिचित हो सकें, और उसे समझ सकें | उन्होंने कहा कि विद्यार्थी परिषद ठहरा हुआ इतिहास नहीं है, लगातार परिषद के आयाम बढ़ रहे हैं. नए -नए समाजिक जीवन के विषयों पर आंदोलन जारी है. जो यह विद्यार्थी परिषद की यात्रा के साथ एक ‘ध्येय’ जुड़ा है, हम सब उसके यात्री बन गए हैं। इस सतत प्रवाह का रूपांतरण करने का प्रयास पुस्तक में किया गया है. 

पुस्तक के विषय में अभाविप के उत्तर क्षेत्रीय संगठन मंत्री विजय प्रताप ने कहा कि ध्येय यात्रा मात्र एक पुस्तक नहीं अपितु एक जीवंत छात्र आंदोलन का ग्रंथ है। वर्तमान में अभाविप के विविध आयाम छात्रों के बीच काम कर रहे हैं और इस पुस्तक में उनके विकास की कहानी है। हमें आशा है कि इस पुस्तक के माध्यम से, संगठन की कार्यशैली एवं अभाविप के ‘राष्ट्र पुनर्निर्माण’ के लक्ष्य को समझने का मौका समाज के सभी वर्गों को मिलेगा। उन्होंने कहा कि ध्येययात्रा, एक ऐसा संदर्भग्रंथ जो विश्व के सबसे विशाल छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को 70 वर्षीय ऐतिहासिक जीवनगाथा प्रस्तुत करता है।  यह पुस्तक अभाविप के 75 वर्ष के इतिहास का ग्रंथ है जिसे शोधार्थी छात्र आंदोलन पर शोध के लिए उपयोग कर सकेंगे। समय – समय पर शिक्षा क्षेत्र में कैसे परिवर्तन आए और विद्यार्थी परिषद ने क्या भूमिका निभाई वो इस पुस्तक में उल्लेखित है। युवा पीढ़ी को अगर आशान्वित होना है तो वह इस पुस्तक को पढ़ें और जाने की कैसे 75 वर्षों के प्रयास से आने वाली पीढ़ियां राष्ट्र निर्माण के लिए समर्पित भाव से कार्य कर रही हैं |

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