अनुसूचित जाति से संबंधित पंचायती राज संस्थाओं में व नगर निकायों में चयनित जनप्रतिनिधियों के लिए देव सदन कुल्लू में खण्ड स्तरीय जागरूकता शिविर का हुआ आयोजन।

ब्यूरो रिपोर्ट कुल्लू।
जाति के नाम पर गांवों की पहचान प्रासंगिक नहीं, इन्हें तुरंत हटाने की जरूरत-वीरेन्द्र कश्यप।
∆उत्पीड़न के मामलों में अविलंब हो एफआईआर।


अनुसूचित जाति से संबंधित पंचायती राज संस्थाओं में व नगर निकायों में चयनित जनप्रतिनिधियों के लिए देव सदन कुल्लू में  खण्ड स्तरीय  जागरूकता शिविर का हुआ आयोजन। हिमाचल प्रदेश राज्य अनुसूचित जाति के अध्यक्ष वीरेन्द्र कश्यप ने कहा कि आज जब समूचा राष्ट्र आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और देश ने सभी क्षेत्रों में अभूतपूर्व तरक्की हासिल कर ली है, ऐसे में हिमाचल प्रदेश के अनेक गांव ऐसे हैं जिनका नाम जातियों के नाम से रखा गया है। उन्होंने कहा कि गांवो के नाम से जाति विशेष के सम्बोधन को तुरंत हटाने की जरूरत है। राजस्व विभाग इस मामले में हस्तक्षेप करके नये नामकरण करवाए। वह आज कुल्लू के देवसदन में कुल्लू तथा भुंतर विकास खण्डों के पंचायती राज संस्थानों व नगर निकायों के चुने हुए अनुसूचित जाति के प्रतिनिधियों के लिये आयोजित एक जागरूकता कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। कार्यशाला में 187 चुने हुए प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
वीरेन्द्र कश्यप ने कहा कि अनुसूचित जाति के लोगों के साथ किसी भी प्रकार के अत्याचार के निवारण के लिये सख्त कानून बनाए गए हैं। इनका कड़ाई के साथ पालन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पुलिस को अत्याचार के मामलों में अविलंब प्राथमिक सूचना रिपोर्ट दर्ज करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति के उत्पीड़न के ऐसे मामलों में डीएसपी से नीचे का अधिकारी जांच नहीं कर सकता। एफआई आर न्यायालय में जाने पर पीड़ित व्यक्ति को मामले के आधार पर सरकार एक लाख रुपये से लेकर आठ लाख रूपये तक की मुआवजा राशि तीन किश्तों में प्रदान करती है।
आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि अनुसूचित जाति वर्ग के लिये सरकार की अनेक कल्याणकारी योजनाएं हैं। उन्होंने चिंता जाहिर की कि अधिकांश लोगों को योजनाओं की जानकारी नहीं है। उन्होंने चुने हुए प्रतिनिधियों से लोगों तक जानकारी पहुंचाने की अपील की। उन्होंने कहा कि इस वर्ग के लोगों को यदि समाज की ज्यादतियों से बचना है तो कानून व अपने अधिकारों की जानकारी होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि सरकार की योजनाएं निचले स्तर पर पहुंचनी चाहिए ताकि कोई एक भी पात्र व्यक्ति इनके लाभ से वंचित नहीं रहने पाए। उन्होंने पंचायती राज संस्थानों के चुने हुए प्रतिनिधियों से अपने-अपने गांव व वार्ड के लिये विकास की योजनाएं बनाने को कहा। उन्होंने कहा कि सभी योजनाओं का क्रियान्वयन पंचायत स्तर से हो रहा है।
वीरेन्द्र कश्यप ने हा कि जब तक अनुसूचित जाति के लोगों की आर्थिकी मजबूत नहीं होगी, तब तक उनके सामाजिक कल्याण के बारे में कल्पना नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि वह प्रदेशभर में खण्ड स्तर के पंचायती राज संस्थानों के चुने हुए प्रतिनिधियों के साथ इसी प्रकार की जागरूकता कार्यशालाएं करेंगे ताकि सरकार की योजनाओं की जानकारी व विभिन्न कानूनों व अधिकारों की जानकारी जन-जन तक पहुंचे।
एचपीएमसी के उपाध्यक्ष राम सिंह ने कहा कि जातिसूचक शब्दों का आज भी इस्तेमाल हो रहा है, यह चिंता की बात है। उन्होंने कहा कि समाज में समरसता बहुत जरूरी है और इसके लिये लोग स्थानीय स्तर पर बेहतर योगदान कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति के लोग तेजी से साक्षर बन रहे हैं और अनेक महत्वपूर्ण पदों पर आसीन हैं। आजादी के बाद आज के परिवेश में यदि नजर डालें, तो इस वर्ग के लोगों के जीवन स्तर में बड़ा सकारात्मक बदलाव आया है। सरकार की विशेष योजनाओं से लोग लाभान्वित हो रहे हैं।
आयोग के सदस्य अजय चौहान ने कहा कि अनुसूचित जाति आयोग का गठन इसी उद्देश्य से किया गया है ताकि इस वर्ग के लोगों के साथ किसी प्रकार के अत्याचार की निगरानी की जा सके और यथोचित कार्रवाई दोषी व्यक्तियों के विरूद्ध सुनिश्चित करवाई जा सके। उन्होंने कहा कि अत्याचार के मामलों में चुने हुए प्रतिनिधियों को गंभीर होना चाहिए। उनकी मध्यस्थता बहुत मायने रखती है। लेकिन समाज में एकता व आपसी भाईचारे की भावना भी किसी स्तर पर निरूत्साहित नहीं होनी चाहिए। उन्होंने नागरिकों के लिये संविधान में निहित छः मौलिक अधिकारों पर भी चर्चा की। उन्होेंने कहा कि प्रदेश में आयोग का इस प्रकार का यह पहला आयोजन है।
उपायुक्त आशुतोष गर्ग ने कहा कि अनुसूचित जाति उप योजना के तहत लगभग 25 प्रतिशत बजट अलग से आबंटित किया जाता है और धरातल पर योजनाओं का क्रियान्वयन सही ढंग से हो, इसके लिये समय-समय पर बजट की समीक्षा की जाती है। उन्होंने जिला में इस प्रकार की जागरूकता कार्यशाला के आयोजन के लिये आयोग का आभार जताया।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सागर चंद ने अनुसूचित जाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 की विभिन्न धाराओं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद-14 में मौलिक अधिकारों में समाज में और कानून के समक्ष बराबरी का अधिकार दिया गया है। अनुच्छेद 17 सर्वाधिक महत्वपूर्ण है जिसमें छूआछूत व अस्पृष्यता का उल्लेख है। उन्होंने कहा कि 1976 में नागरिक अधिकार सरंक्षण अधिनियम बना जो इस वर्ग के लोगों को संरक्षण प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि 2013 में मैनुअल स्कवेंजर अधिनियम बना जिसमें सिर पर मैला ढोने को प्रतिबंधित किया गया और इनके पुनर्वास का प्रावधान किया गया। उन्होंने कहा कि जिला में जातिसूचक शब्दों के इस्तेमाल के मामले सामने आते हैं। उन्होंने कहा कि एफआईआर मामले की गंभीरता को देखते हुए छानबीन करके तुरंत कर दी जाती है।
जिला कल्याण अधिकारी समीर चन्द्र ने स्वागत किया तथा कल्याण विभाग की ओर से अनुसूचित जाति वर्ग के लिये संचालित विभिन्न योजनाओं की विस्तारपूर्वक जानकारी दी।
उप-निदेशक प्रारम्भिक शिक्षा सुरजीत राव ने जिला में मिड-डे-मील पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि स्कूलों में बच्चों को रोल नम्बर वाईज खाना खाने के लिये बिठाया जाता है। इसमें किसी प्रकार के भेदभाव का अंदेशा नहीं रह जाता। यदि किसी स्कूल से अनुसूचित जाति वर्ग के बच्चों के साथ भेदभाव की शिकायत आती है तो तुरंत से इसपर कारवाई की जाती है। उन्होंने इस वर्ग के विद्यार्थियों के लिये विभिन्न प्रकार की छात्रवृति योजनाओं के बारे मंे भी बताया।
जिला अग्रणी बैंक प्रबंधक पामा छेरिंग व राकेश ने बैंक की विभिन्न योजनाओं की जानकारी सांझा की। अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति विकास निगम के प्रबंधक नारायण सिंह ने विभाग के माध्यम से अनुसूचित जाति के लोगों को प्रदान की जा रही विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी।
कार्यशाला मंे प्रतिनिधियों ने अपनी शकांए रखीं जिनका संबंधित विभागों के अधिकारियों ने समाधान किया। 

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