SFI हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई अधिष्ठाता अध्ययन (DS) से प्रशासन के गैर लोकतांत्रिक प्रक्रिया व अवैध तरीके से विश्वविद्यालय में लिए जा रहे फैसलों के खिलाफ मिली।
अधिष्ठाता अध्ययन (DS) को एसएफआई ने यह स्पष्ट किया कि वाणिज्य विभाग व प्रबंधन विभाग में एक दूसरे को पढ़ाने की एलिजिबिलिटी को लेकर विवाद चला है। दोनों अलाइड सब्जेक्ट्स हैं या नहीं। इस बात पर DS महोदय Deans की बैठक करते हैं और चालाकी से दोनों को अलाइड सब्जेक्ट्स नोटिफाई कर देते हैं। जबकि यह तय करना डिपार्टमेंटल कौंसिल का अधिकार क्षेत्र है कि दोनों विषय अलाइड सब्जेक्ट्स हैं या नहीं। इस विवाद से पहले भी इस विवाद पर दोनों विषयों की डिपार्टमेंट कौंसिल ये नोटिफाई कर चुकी है कि दो विषय अलाइड नहीं होंगे इसका प्रमाण है।
इस पर DS से चर्चा करते हुए परिषद अध्यक्ष ने कहा कि प्रशासन या कुछ अधिकारियों ने कौंसिल को गुमराह करते हुए इन विषयों को अलाइड बताया है जिसमें DS भी शामिल है।
परिसर सचिव ने DS से बात करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय में कोई भी निर्णय कुछ लोग ही ले रहे जो बड़े औधों पर बैठे हैं।जो प्रक्रिया है उसको बाईपास करके अपनी मनमानी की जा रही है। आज से पहले भी इस विश्वविद्यालय में सुनील गुप्ता कुलपति रहे उन्होंने अपने बेटे की PHD 11 महीने में पूरी करवा दी। पूर्व कुलपति व राज्यसभा सांसद सिकंदर कुमार, पीएल शर्मा, अरविंद भट्ट, तीनों ने अपने बच्चों के दाखिले PHD में UGC नियमों को दरकिनार करते हुए किए हैं और उपरोक्त जो अलाइड सब्जेक्ट्स का मुद्दा है यह भी कहीं ना कहीं उसी ओर इशारा कर रहा है।
SFI ने यह मांग की है कि विश्वविद्यालय प्रशासन कुछ भी तय करता है तो जो उसकी प्रक्रिया है उसी के तहत वह काम किया जाए। विश्वविद्यालय में सभी काम जनवादी कार्यप्रणाली से किए जाएं न कि मनमानी से।
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