एस एफ आई हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई द्वारा छात्र मांगों को लेकर बुधवार को पिंक पेटल पर धरना प्रदर्शन किया गया ।इस धरना प्रदर्शन में एसएफआई की पहली मांग यह थी कि दिनांक 6 अगस्त 2022 को विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा एक सूचना जारी की जाती है कि जो छात्र जुलाई और अगस्त के महीने में हॉस्टल के अंदर रहे हैं उन्हें 2 माह की हॉस्टल एक्सटेंशन फीस देनी पड़ेगी पर एसएफआई यहां से यह मांग कर रही है कि जब एग्जाम के चलते स्टूडेंट्स को हॉस्टलों के अंदर मजबूरन रहना पड़ा तो स्टूडेंट किस बात की फीस दे यदि हम एकेडमिक सेशन की बात करें तो सेशन जुलाई 1 से जून 30 तक चलता है । यदि इस प्रकार हम एकेडमिक सत्र को देखें तो छात्र जब हॉस्टल की फीस देता है तो वह पूरे 12 महीनों के लिए फीस देता है जिसके अंदर यदि हम जनरल केटेगरी की बात करें तो फिर 4000 और यदि एसटी, एससी की बात करें तो फिर 2700 के लगभग फीस ली जाती है । लेकिन अगर हम हॉस्टल अलॉटमेंट की बात करें तो लगभग छात्रों को हॉस्टल सितंबर से अक्टूबर महीने में अलॉट किए जाते हैं ।इस प्रकार छात्र पहले ही जुलाई और अगस्त महीने की फीस बिना हॉस्टल में रहे दे चुका होता है और दूसरी ओर यदि एकेडमिक सेशन की बात करें तो जो सेशन जून से जुलाई के बीच में खत्म होता था और छात्र जून और जुलाई में अपनी परीक्षाएं देकर हॉस्टल से विदा ले चुके होते थे । लेकिन इस बार प्रशासन की नाकामियों के चलते परीक्षाएं अगस्त माह तक भी चल रही हैं जिसके चलते मजबूरन छात्रों को हॉस्टल में रहना पड़ रहा है। इस प्रकार हम देख सकते हैं कि विश्वविद्यालय प्रशासन अपनी गलतियों की सजा छात्रों को दे रहा है । जो फीस छात्रों से वसूली जा रही है वह सरासर गलत है और हम यह मांग कर रहे हैं यह चीज किसी भी हाल में छात्रों से लेना न्याय संगत नहीं है और इस फीस को नहीं लिया जाना चाहिए ।
यदि हम दूसरी ओर बात करें नए हॉस्टल का निर्माण करने की तो उसके ऊपर विश्वविद्यालय द्वारा कोई भी कदम अभी तक नहीं उठाया गया है। केवल कन्या छात्रावास के नाम पर एक हॉस्टल का शिलान्यास किया गया है। यदि हम हर वर्ष विश्वविद्यालय के अंदर एडमिशन की बात करें तो लगभग चार से पांच हज़ार छात्र एवं छात्राएं विश्वविद्यालय में दाखिला लेते हैं और यदि हम विश्वविद्यालय के हॉस्टलों की कैपेसिटी को देखें तो केवल 1200 से 1300 बच्चों को ही हॉस्टल की सुविधा प्रदान की जाती है। जब नए हॉस्टल बनाने की बात की जाती है तो विश्वविद्यालय प्रशासन हमेशा अपना पल्ला झाड़ते हुए टालमटोल करने की कोशिश करता है । विश्वविद्यालय प्रशासन को यदि विश्वविद्यालय में कोई भी काम अपने फायदे के लिए करना होता है तो तब प्रशासन के फंड्स भी आ जाते है । जैसे 21 अगस्त को विश्विद्यालय के अंदर एलुमिनी मिट रखी गई थी और उसके लिए विश्वविद्यालय द्वारा लगभग 70 से 80 लाख रुपए खर्च किए जाते हैं और उसी एलुमिनी मीट के अंदर प्रशासन द्वारा यह भी घोषणा की जाती है कि हम आने वाले समय में विश्वविद्यालय के अंदर एलुमिनी भवन का निर्माण करेंगे जिसकी लागत लगभग 10 करोड रहेगी। यदि उस एल्यूमिनी मीट की भी बात की जाए उसके अंदर भी सिर्फ और सिर्फ भाजपा द्वारा अपने इलेक्शन कैंपेन को महत्वता प्रदान की गई है । एलुमनी मीट के नाम पर पूरी की पूरी बीजेपी को विश्वविद्यालय के अंदर बुलाया जाता है। केवल नाम मात्र के लिए अन्य विचारधारा के लोगों को यहां बुलाया गया। लेकिन यदि हम बहुल संख्या में बात करें तो सिर्फ और सिर्फ बीजेपी या संघ के लोगों को यहां बुलाया गया और इस एलुमिनी मीट के नाम पर विश्वविद्यालय के अध्यापकों से चंदा इकट्ठा किया गया ।यदि हम इसे बीजेपी के लिए इलेक्शन फंड का नाम दें तो कुछ गलत नहीं होगा ।एसएफआई यह मांग कर रहे हैं कि विश्वविद्यालय का मेन स्टेकहोल्डर यहां पर पढने वाला छात्र समुदाय है और विश्वविद्यालय द्वारा जब भी कोई नीति बनाई जाए उसमें छात्र हित को महत्वता दी जानी चाहिए।
एसएफआई यह मांग कर रही हैं कि विश्वविद्यालय में नए छात्रावासों का निर्माण किया जाए ताकि छात्रों को महंगे कमरे किराए पर लेकर न रहना पड़े। हम यह उम्मीद विश्वविद्यालय प्रशासन से करते हैं कि छात्रों की मूलभूत सुविधाओं को जल्द से जल्द पूरा किया जाएगा और यदि इसके ऊपर जल्द संज्ञान नहीं लिया जाता तो एसएफआई विश्वविद्यालय के तमाम छात्र समुदाय को एक करते हुए प्रशासन के खिलाफ उग्र आंदोलन करेंगे। जिसके लिए विश्वविद्यालय प्रशासन स्वयं जिम्मेदार होगा।
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