मनरेगा व निर्माण मजदूरों ने मजदूरों को मिलने वाली सुविधाओं व पंजीकरण में हो रही देरी के खिलाफ रामपुर में श्रमिक बोर्ड कार्यालय के बाहर किया प्रदर्शन।

हिमाचल प्रदेश भवन, सड़क एवं अन्य निर्माण मजदूर यूनियन (संबंधित सीटू) जिला शिमला के बैनर तले मजदूरों ने रामपुर बुशहर में अपनी मांगों के पूरा न होने पर बुधवार को रोष रैली निकाली। यह रैली चौधरी अड्डे से लेकर मिनी सचिवालय स्थित श्रम कार्यालय तक निकाली गई। इस दौरान श्रम विभाग की कार्यप्रणाली पर रोष प्रकट करते हुए  मजदूरों को मिलने वाली सुविधाओं और पंजीकरण में हो रही देरी पर सैकड़ों मजदूरों ने बोर्ड के खिलाफ प्रदर्शन और नारेबाजी की।
प्रदर्शन को संबोधित करते हुए निर्माण मजदूर यूनियन शिमला जिला महासचिव अमित, हिमाचल किसान सभा निरमण्ड इकाई अध्यक्ष देवकीनंद ने कहा कि मनरेगा और निर्माण मजदूरों की सहायता के लिए बने हिमाचल प्रदेश राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड का वर्तमान सरकार द्वारा राजनीतिकरण किया जा रहा है। बोर्ड कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मजदूरों को समय पर नहीं दे रहा है।


इसमें छात्रवृत्ति सहायता राशि करीब 2 साल के बाद, शादी सहायता राशि करीब एक साल, चिकित्सा सहायता 10 महीने और अन्य सभी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ बहुत देरी से मिल रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए बोर्ड के बजट से करोड़ों रुपए प्रचार सामग्री पर खर्च कर दिए हैं। मुख्यमंत्री से लेकर विधायक व सत्ताधारी पार्टी के नेता बोर्ड के पैसे से लोगों को इकट्ठा कर रहे हैं। मजदूरों के पैसों से बड़े-बड़े होर्डिंग लगाए जा रहे हैं।
दूसरी तरफ केंद्र की मोदी सरकार पूरी तरह पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने का काम कर रही है। बजट में बैंक, बीमा, रेलवे, एयरपोर्ट, बंदरगाहों, ट्रांसपोर्ट, गैस पाइप लाइन, बिजली, सरकारी कंपनियों के गोदाम और खाली जमीन, सड़कों, स्टेडियम, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण करके बेचने का रास्ता खोल दिया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि मजदूरों का पंजीकरण करने में बोर्ड पांच से छह महीने का समय ले रहा है, जबकि पंजीकरण 15 दिन में होना चाहिए।
 उन्होंने कहा कि अगर तीन अक्तूबर तक उनकी मांगों पर सहमति नहीं बनी तो मजदूर क्रमिक अनशन पर बैठने को मजबूर होंगे।

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