➡️ हर घर नल यानी जल जीवन मिशन के अंतर्गत एक भी नल नहीं लगा।
➡️ एनएच 305 से गांव को जोड़ने वाला पुल असुरक्षित और पुल के आर पार रास्ते में फेंसिंग नहीं होने से मुसाफिर हमेशा खतरे की जद में।
➡️ नहीं मिला सरकारी गृह निर्माणअनुदान/आवास योजनाओं का लाभ।
➡️गांवों में पक्के रास्तों का अभाव।
➡️ नहीं खुला प्राइमरी स्कूल- जमीन दान करने,स्कूल के लिए कमरा उपलब्ध करवाने और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की घोषणा के बाबजूद।
यूं तो सत्तारूढ़ भाजपा सरकार आए दिन प्रदेशभर में विकास के नए नए आयाम स्थापित करने के बड़े बड़े दावे कर रही है। साथ ही साथ आज़ादी के 75 वर्ष पूर्ण होने की खुशी में " आज़ादी का अमृत महोत्सव" हर विधान सभा क्षेत्र में आयोजित कर रही है।
यूं तो सत्तारूढ़ भाजपा सरकार आए दिन प्रदेशभर में विकास के नए नए आयाम स्थापित करने के बड़े बड़े दावे कर रही है। साथ ही साथ आज़ादी के 75 वर्ष पूर्ण होने की खुशी में " आज़ादी का अमृत महोत्सव" हर विधान सभा क्षेत्र में आयोजित कर रही है।
"आनी कस्बे के निकट दोघरी और सेरी बील गांवों के बाशिंदे मूलभूत सुविधाओं से महरूम।"
जी हां, ये किस्सा है जिला कुल्लू विकास खण्ड आनी ग्राम पंचायत बिनण वार्ड दोघरी का।
इस वार्ड में ज्यादातर बाशिंदे अनुसूचित जाति अनुसूचित जन जाति से संबंधित हैं।
कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में 2017 में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के आनी दौरे के दौरान यहां एक प्राइमरी स्कूल खोलने की घोषणा की थी।
सूत्रों के अनुसार इस वार्ड से लगभग तीस छात्र एवम छात्राएं आनी और निगान में प्राइमरी स्कूल में अध्ययनरत हैं।
उक्त स्कूल के लिए मस्जिद में एक कमरा दिया गया था और जमीन भी दान की है।मगर फिर भी यहां विद्यालय नहीं खुला।
इसके अतिरिक्त गांव में जाने के लिए पुल पर फेंसिंग नहीं लगी है और पुल के पिलरों में दरारें आईं हैं । इस कारण आने जाने वाले गांव वालों को हमेशा खतरा बना हुआ है। इस पुल पर बारिश वाले दिन फिसलन भी रहती है।जिसके कारण स्कूली बच्चों के गिरने का खतरा भी रहता है।
जल जीवन मिशन के अंतर्गत इस गांव में एक भी नल अब तक नहीं लगा है।
हां,विकास के नाम पर इस बस्ती आगनवाड़ी केंद्र सुचारू ढंग से कार्य कर रहा है।
गौरतलब है कि यह गांव पहले ग्राम पंचायत कुंगश का हिस्सा था।अब यह नव गठित पंचायत बिनण का हिस्सा है। उस दौरन यहां कुछ पक्के रास्ते बने हैं और इक्का दुक्का सार्वजनिक नल लगे हैं।
अधिकतर अनुसूचित जाति से संबंधित निर्धन लोग अपने पुराने जीर्णशीर्ण कच्चे मकानों में रहने के लिए विवश हैं। अधिक बारिश आने पर इनके गिरने का खतरा बना हुआ है।
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