मनरेगा मजदूरों को श्रमिंक कल्याण बोर्ड से मिलने वाले लाभों से वंचित करने पर आनी, निरमण्ड और रामपुर में धरना प्रदर्शन।

हिमाचल प्रदेश भवन सड़क एवं अन्य निर्माण मजदूर यूनियन (संबंधित सीटू) ने बुधवार को निरमण्ड व आनी में धरना प्रदर्शन किया। यूनियन ने राज्य सरकार द्वारा मनरेगा मज़दूरों को श्रमिक कल्याण बोर्ड से मिलने वाले लाभ बंद करने का कड़ा विरोध किया है। यूनियन ने सरकार से इस फैसले को रद्द करने की मांग की है और उपमण्डल अधिकारी (नागरिक) निरमण्ड व आनी के माध्यम से सरकार को ज्ञापन दिया।
धरने प्रदर्शन को संबोधित करते हुए यूनियन जिला महासचिव अमित, किसान सभा जिला शिमला महासचिव पूर्ण ठाकुर, दुर्गा नंद, परमिंदर आदि ने कहा कि प्रदेश  सरकार ने मनरेगा मजदूरों को राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड की सदस्यता से वंचित कर मनरेगा मजदूर विरोधी काम किया है। सरकार के इस फैसले की वजह से मनरेगा मजदूर बोर्ड से मिलने वाले लाभों से वंचित हो जाएंगे।
मजदूर नेताओं ने कहा कि वर्तमान केंद्र व प्रदेश सरकार लगातार मजदूरों के विरोधी नीतियां लागू कर रही है। केंद्र सरकार ने मनरेगा का बजट कम कर दिया है जिसके कारण मजदूरों को 100 दिन का काम नहीं मिल रहा है। राज्य सरकार मनरेगा मजदूरों को  ₹350 की न्यूनतम मजदूरी लागू नहीं कर रही है और उन्हें ₹212 ही दिए जा रहे हैं। 
अब राज्य सरकार ने मनरेगा मजदूरों को राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड से मिलने वाली सहायता राशि भी बंद कर दी है। जिस कारण अब मजदूरों के बच्चों को मिलने वाली शिक्षण छात्रवृत्ति,विवाह, शादी, चिकित्सा प्रसूति, पेंशन इत्यादि की सहायता बंद हो जाएगी। इससे पहले वर्तमान भाजपा सरकार ने मजदूरों को मिलने वाली सहायता सामग्री जैसे वाशिंग मशीन, इंडक्शन, हीटर, सोलर लैंप, साइकिल, कंबल, डिनर सेट, टिफिन बॉक्स, वाटर फिल्टर इत्यादि बंद कर दिए हैं।
2017 में सरकार ने मनरेगा मजदूरों का बोर्ड में पंजीकरण के लिए 50 दिनों से बढ़ाकर 90 दिन कर दिया था और अब  मनरेगा मजदूरों को बोर्ड से  मिलने वाले लाभोँ से बाहर कर रही है। यूनियन ने मांग की है कि सरकार जल्द अपना फैसला बदले अन्यथा यूनियन आने वाले विधानसभा चुनावों में इसे मुद्दा बनाएगी और भाजपा को  सत्ता से  बाहर करने का काम करेगी।

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