एसएफआई हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई द्वारा ईआरपी सिस्टम की खामियों के खिलाफ पिछले कल से चली आ रही सांकेतिक हड़ताल को नुक्कड़ नाटक के माध्यम से आज समाप्त किया गया।
एसएफआई के लोक सांस्कृतिक मंच के छात्रों द्वारा इस सांकेतिक हड़ताल को समाप्त करने से पहले नुक्कड़ नाटक के माध्यम से ईआरपी सिस्टम के कारण प्रदेशभर में जो यूजी का 80% रिजल्ट खराब आया है और जो ईआरपी के अंदर खामियां है उसको नाटक के माध्यम से दिखाया गया।
एसएफआई इकाई सचिवालय सदस्य कामरेड साहिल ने बताया कि जो UG का प्रथम वर्ष का परीक्षा परिणाम आया है उसके अंदर काफी खामियां है जिसके चलते पूरे प्रदेश के अंदर 80%छात्रों का रिजल्ट खराब आया है और इसका जिम्मेदार विश्वविद्यालय प्रशासन है। विश्वविद्यालय के अंदर इआरपी सिस्टम के चलते इस तरह का परीक्षा परिणाम सामने आया है जिसके चलते छात्रों को मानसिक दौर से गुजरना पड़ रहा है।
एसएफआई हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई सह सचिव संतोष ने सांकेतिक हड़ताल को समाप्त करने से पहले बात रखते हुए कहा कि एसएफआई बड़े लंबे समय से इस इआरपी सिस्टम को विश्वविद्यालय से निकालने की मांग कर रही है। परंतु विश्वविद्यालय प्रशासन इस ओर कोई सुध नहीं ले रहा है। जिसके चलते इसका परिणाम छात्रों को भुगतना पड़ रहा है और इसके कारण कुछ छात्रों ने प्रदेश के अंदर आत्महत्या करने की कोशिश की है । उन्होंने बात रखते हुए कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन पिछले दो-तीन सालों से ऑनलाइन इआरपी सिस्टम के माध्यम से पेपरों की चेकिंग करवा रहा है। जिसके कारण छात्रों के आधे अधूरे परीक्षा परिणाम देखने को मिल रहे हैं।इससे पहले भी इस तरह के परिणाम पीजी छात्रों के आ चुके हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इआरपी सिस्टम के माध्यम से एक प्राइवेट कंपनी को विश्वविद्यालय की एग्जामिनेशन ब्रांच को पूरा ठेके में दिया है। यह कंपनी छात्रों के पेपरों को ऑनलाइन स्क्रीनिंग के माध्यम से चेक करवाती है पर विश्वविद्यालय का रेगुलर कर्मचारी जिसके देखरेख में यह पेपर चेक होने चाहिए थे उसके देखरेख में यह पेपर चेक नहीं हो रहे हैं । जिसके चलते विश्वविद्यालय के सिक्रेसी पर भी सवाल खड़े होते है।
पिछले लंबे समय से विश्वविद्यालय प्रशासन ने नॉन टीचिंग स्टाफ की रेगुलर भर्ती नहीं करवाई है जिसके चलते छात्रों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और पूरे विश्वविद्यालय का निजीकरण और ठेकाकरण करने की कोशिश विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा की जा रही है। उन्होंने कहा कि आज विश्वविद्यालय प्रशासन विश्वविद्यालय के ऑर्डिनेंस को दरकिनार करते हुए विश्वविद्यालय निजी हाथों में देने के लिए तैयारियां कर रहा है।
इकाई अध्यक्ष हरीश ने बताया कि वर्तमान में यह विश्वविद्यालय अध्ययन का केंद्र न रहकर सिर्फ पैसे कमाने की फैक्ट्री बन कर रह गया है। ERP की खामियों से हुई छोटी सी गलती के लिए भी विश्वविद्यालय ₹600 रूपये छात्रों से वसूल करता है। अब जब प्रशासन के सिस्टम की गलती है तो उसके लिए छात्र फीस क्यों दे? एसएफआई की साफ मांग है कि छात्रों के री इवेल्यूएशन की फीस माफ की जानी चाहिए। साथ ही साथ जो विश्वविद्यालय की रेंकिंग में लगातार गिरावट हो रही है उसके लिए भी एसएफआई ने रोष प्रकट किया है। एसएफआई ने आरोप लगाया है कि NAAC द्वारा जो विश्वविद्यालय की CGPA में गिरावट की गई है उसका प्रमुख कारण उन्होंने यहां का टीचिंग और लर्निंग में निम्न स्तर बताया है। एसएफआई ने आरोप लगाया है कि विश्वविद्यालय के अध्यापक पढ़ाने का काम छोड़ राजनीतिक कार्यों में ज्यादा ध्यान दे रहे है। जिसका खामयाजा विश्वविद्यालय को GCPA में कमी के रूप में देखना पड़ा। एक साथ उन्होंने अपनी बात को खत्म करते हुए इस सांकेतिक हड़ताल को भी समाप्त किया और उन्होंने कहा कि
यदि प्रशासन द्वारा समय रहते इन सब छात्र मांगों जिसमें यूजी रिजल्ट्स को दुरुस्त करना, रि इवैल्यूएशन फीस माफ करने व विश्वविद्यालय में हो रही धांधलियों पर रोक लगाने की मांगों पर सकारात्मक पहल नहीं करता है तो एसएफआई तमाम छात्र समुदाय को एकजुट करते हुए व्यापक आंदोलन खड़ा करेगी। जिसकी सारी जिम्मवारी प्रशासन की होगी।
0 Comments