इंस्पायर मानक अवार्ड के तहत ग्राहणा स्कूल के मॉडल का राज्य स्तर के लिए हुआ चयन, छात्र अनुज और मार्गदर्शक अध्यापक जय सिंह की मेहनत लाई रंग।

इंस्पायर मानक अवार्ड के तहत राज्य स्तर के लिए राजकीय माध्यमिक पाठशाला ग्राहणा के छात्र अनुज के मॉडल का चयन हुआ है। इस मॉडल का नाम संजीवनी दिया गया है। स्कूल से तीसरी बार राज्य स्तर के लिए मॉडल का चयन होने पर खुशी की लहर है। स्कूल से एक बार मॉडल राष्ट्र स्तर के लिए भी चयनित हुआ है। जिला कुल्लू से कुल तीन मॉडल राज्य स्तर पर प्रदर्शित होंगे। जिसमें जिला के दो निजी स्कूल और एक मात्र सरकारी स्कूल ग्राहणा का मॉडल चयनित किया गया है।
इस संबंध में मंडी में प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। जोनल स्तर पर तीन जिलों के छात्रों के मॉडल इसमें प्रदर्शित किए गए थे। यहीं पर जिला से तीन मॉडलों का चयन राज्य स्तर के लिए हुआ है। स्कूल के इस उत्कृष्ट प्रदर्शन पर स्कूल प्रबंधन ने खुशी जाहिर की है। स्कूल के प्रभारी सुरेंद्र कुमार का कहना है कि इस मॉडल के चयन के लिए छात्र अनुज और मार्गदर्शक विज्ञान अध्यापक जय सिंह बधाई के पात्र हैं। 

अनुज द्वारा बनाया गया इंस्पायर मानक अवार्ड के लिए बनाया गया मॉडल प्रिइंडिकेशन व्हीलचेयर और सैलाईन मॉनिटरिंग सिस्टम (संजीवनी) आपातकालीन स्थिति में किसी भी मरीज़ के लिए संजीवनी से कम नहीं है। इसमें एक व्हीलचेयर बनाई गई है। जिस पर बैठते ही अस्पताल के आपातकालीन कक्ष में कार्यरत डॉक्टर और अन्य कर्मचारियों को सूचना पहूंच जाएगी। 

इसके अलावा इसमें ऐसी व्यवस्था की गई है जिससे यह भी सूचना आपातकालीन कक्ष में पहुंच जाएगी कि मरीज दुर्घटना का शिकार है या मरीज को दिल का दौरा पड़ा है। इससे विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम बीमारी के अनुसार तुरंत आपातकालीन कक्ष में मरीज के पहुंचने से पहले ही पहुंच जाएंगे और मरीज को सही समय पर इलाज मिल जाएगा।

इसके अलावा यह मॉडल एक अन्य कारण से भी फायदेमंद है। जब अस्पताल में किसी मरीज को ग्लूकोज लगाया जाता है तो उसके तीमारदारों को बार- बार उसे देखते रहना होता है। कई बार उन्हें नींद आ जाती है तो मरीज को अनेको समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस मॉडल में एक ऐसा सैलाइन स्टैंड बनाया गया है जो ग्लूकोज की बोतल खत्म होने पर नर्स डयूटी कक्ष में तुरंत संदेश भेज देता है कि किस बैड के मरीज की बोतल खत्म हो गई है। इसके कारण यह मरीज के साथ -साथ तीमारदारों के लिए भी लाभदायक है। समय पर इलाज मिलने से अनेकों मरीजों के जीवन को बचाया जा सकता है इसलिए इसे संजीवनी नाम भी दिया गया है।

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