अडानी द्वारा सीमेंट कारखानों को बन्द करना गैरकानूनी।

सीटू राज्य कमेटी हिमाचल प्रदेश ने अडानी समूह द्वारा बरमाणा एसीसी और दाड़लाघाट अम्बुजा सीमेंट प्लांटों को अचानक बन्द करने के खिलाफ डीसी ऑफिस शिमला के बाहर प्रदर्शन किया। सीटू ने इन प्लांटों को अडानी कम्पनी द्वारा तानाशाहीपूर्वक गैर कानूनी तरीके से बन्द करने की कड़ी निंदा की है और सरकार से इस कंपनी के ख़िलाफ़ आपराधिक मामला दर्ज करने की मांग की है। सीटू ने मांग की है कि इन उद्योगों को तुरन्त शुरू करवाया जाए तथा 50 हज़ार से ज़्यादा मजदूरों,ड्राइवरों,ट्रांसपोर्टरों व अप्रत्यक्ष तौर से कार्य कर रहे लोगों के रोज़गार की सुरक्षा की जाए। प्रदर्शन में विजेंद्र मेहरा, जगत राम, बालक राम, विनोद बिरसांता, दलीप सिंह, राकेश कुमार, राम प्रकाश, रंजीव कुठियाला, किशोरी ढटवालिया, पूर्ण चंद, कपिल नेगी, मनोहर लाल, विद्यादत्त, बलवंत मेहता, नरेश कुमार, अंजू, सुकर्मा, किरन, अंजू , अमृता, प्रीति, सरीना, सीता राम आदि मौजूद रहे।

सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने कहा है कि अडानी कम्पनी हिमाचल प्रदेश में तानाशाही व अराजकता पर उतारू है जिसका ताज़ा उदाहरण एसीसी बरमाणा व अम्बुजा दाड़लाघाट सीमेंट प्लांटों को गैरकानूनी तरीके से बन्द करना है। इस से प्रदेश के लगभग दो लाख लोगों के जीवन पर प्रभाव पड़ना तय है। उन्होंने कहा है कि यह सब केंद्र सरकार द्वारा लागू की जा रही नवउदारवादी नीतियों का परिणाम है। जिसके कारण अडानी कम्पनी खुली लूट व भारी मुनाफाखोरी करने पर अमादा है।  इन कारखानों को अचानक बन्द करने से इनमें काम कर रहे हज़ारों कर्मचारियों और मजदूरों की नौकरी पर संकट पैदा हो गया है। अडानी कम्पनी के इस गैरकानूनी कदम से सीमेंट ढुलान में लगे हज़ारों ट्रक ऑपरेटरों और उनमें काम करने वाले ड्राइवरों व कर्मचारियों का रोज़गार छिन जाएगा। उन्होंने कहा कि इस घटनाक्रम से साफ हो गया है कि केंद्र सरकार ने अपने उद्योगपति मित्रों को यह छूट दे दी है कि वे बिना किसी पूर्व सूचना व नोटिस के ऐसा क़दम उठा सकते हैं। केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में 44 श्रम कानूनों को खत्म करके बनाए गए चार लेबर कोडों के ज़रिए मजदूरों के शोषण को तेज करने का हिमाचल प्रदेश में यह पहला उदाहरण है जिसने लेबर कोडों के शोषणकारी रूप को जगज़ाहिर कर दिया है। उन्होंने कहा कि अडानी समूह जो पिछले पांच साल के समय में दुनिया का दूसरा सबसे अमीर उद्यमी बन गया है। उसने कुछ समय पहले इन दोनों सीमेंट कारखानों को खरीदा था। उसके बाद से ही प्रभावितों,लैंड लूज़रों,कर्मचारियों व मजदूरों पर हमला तेज हो गया था जिसका प्रतिबिम्बन गैर कानूनी तरीके से सीमेंट प्लांटों को बन्द करने तथा ट्रांसपोर्टरों, ड्राइवरों, कर्मचारियों व मजदूरों के रोज़गार पर अघोषित बंदी के रूप में हुआ है। यह कम्पनी अन्य कम्पनियों की तरह ही सीमेंट के भारी रेट लेकर हिमाचल की जनता का खून चूस रही है। हिमाचल प्रदेश में सीमेंट बनने के बावजूद भी सीमेंट प्रदेश में पंजाब से भी ज़्यादा महंगा बिक रहा है जोकि प्रदेश की विभिन्न सरकारों की सीमेंट कम्पनियों से मिलीभगत का पोल खोलता है। प्रदेश में पिछले कुछ वर्षों में ही सीमेंट के दाम दो सौ रुपये प्रति बैग बढ़ा दिए गए हैं जोकि लगभग दोगुना हैं। वर्तमान नई सरकार के गठन के दिन भी इस कम्पनी ने पांच रुपये प्रति बैग रेट बढ़ा दिए हैं। इतने रेट बढ़ाने के बावजूद भी कर्मचारियों,मजदूरों व ट्रांसपोर्टरों की आय में कोई वृद्धि नहीं हुई है जिस से साफ है कि कम्पनी खुल्लमखुल्ला लूट पर उतारू है व महंगे भाड़े का बेबुनियाद तर्क देकर ट्रांसपोर्टरों के रोज़गार पर हमला करना चाहती है। उन्होंने सीमेंट के दामों में कटौती करने की मांग की है। ज़मीनों को कौड़ियों के भाव लेने के बाद अब स्थानीय ट्रांसपोर्टरों को अडानी कम्पनी प्लांट बन्द करने की रणनीति के ज़रिए दबाव में लाना चाहती है जोकि गैर कानूनी है। प्रभावितों पर यह कम्पनी दो महीने पहले भी हमला कर चुकी है जब प्रभावितों को ट्रांसपोर्टर अथवा प्लांट में रोज़गार में से किसी एक ऑप्शन को चुनने के लिए बाध्य करके दर्जनों प्रभावितों से उनकी नौकरी से त्यागपत्र ले चुकी है। यह तानाशाही है व स्थानीय जनता के रोज़गार पर सीधा हमला है। अब अचानक कम्पनी ने औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 व कारखाना अधिनियम 1946 की अवहेलना करके इन कारखानों को बन्द करने का नोटिस लगा दिया है और सभी कर्मचारियों को काम पर न आने के आदेश दे दिए हैं। उन्होंने कहा है कि सरकार को इस कम्पनी के विरुद्ध तुरन्त मुकद्दमा दायर करके इन कारखानों को शुरू करवाना चाहिए। उन्होंने अडानी समूह पर आरोप लगाया है कि उन्होंने फैक्टरी एक्ट और आईडी एक्ट जैसे श्रम क़ानूनों की खुली उल्लंघना की है इसलिए उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई की जानी चाहिए और इन कारखानों को पुनः चालू करने के लिए उचित क़दम उठाए जाने चाहिए। उन्होंने कंपनी की उस दलील को भी हास्यस्पद बताया है जिसमें उसने कहा है कि ये कारखाने घाटे में चल रहे हैं। इसलिए इन्हें शट डाउन किया गया है। उन्होंने कहा कि कुछ समय पहले जो कारखाने मुनाफ़े में थे वे अचानक कैसे घाटे में चले गए। उन्होंने राज्य और केंद्र सरकार से इन कारखानों को जल्दी शुरू करवाने के लिए हस्तक्षेप की मांग की है।

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