एसएफआई हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई ,विश्वविद्यालय परिसर में अपना 53वां स्थापना दिवस मना रही है। इसके अंतर्गत एसएफआई विश्वविद्यालय में आने वाले तीन दिनों तक अनेक कार्यक्रमों का आयोजन करेगी।
एसएफआई के स्थापना दिवस के अवसर पर विश्वविद्यालय इकाई कैंपस के अध्यक्ष हरीश द्वारा स्वाधीनता, जनवाद और समाजवाद का झंडा फहराया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय इकाई द्वारा कैंपस के अंदर रंगोली का आयोजन भी किया गया।
इस दौरान अपनी बात रखते हुए एसएफआई हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई अध्यक्ष हरीश ने एसएसआई के इतिहास को बताते हुए कहा कि जब 27 से 30 दिसंबर 1970 के अंदर केरल के तिरुवंतपुरम में एसएफआई को बनाया गया था उस समय से एसएफआई छात्र मुद्दों को लेकर लगातार संघर्ष कर रही है। तब से लेकर इस संघर्ष में एसएफआई के लगभग 275 से अधिक कार्यकर्ताओं ने अपनी शहादत दी है ।
उन्होंने बात रखते हुए कहा कि एसएफआई सबको शिक्षा सबको काम के नारे को लेकर लगातार संघर्ष कर रही है और आने वाले समय के अंदर इस संघर्ष को तेज करने की जरूरत है। जिस तरह प्रदेश की और देश की सरकार सरकारी शिक्षा पर लगातार हमला कर रही है उसको देखते हुए छात्रों को एकजुट करने की जरूरत है और आने वाले समय के अंदर शिक्षा के निजीकरण के खिलाफ लड़ने की जरूरत है।
इस स्थापना दिवस के अवसर पर बात रखते हुए इकाई सचिव सुरजीत ने कहा कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के अंदर प्रशासन छात्रों को मूलभूत सुविधाएं मुहैया करवाने में नाकाम है।
छात्रों को उपभोक्ताओं की तरह पैसे कमाने का जरिया बना कर रख दिया गया है इसके साथ ही घटिया इआरपी सिस्टम के चलते प्रदेशभर के छात्रों को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का काम यह नाकारा प्रशासन कर रहा है। पीएचडी एडमिशन में हुआ स्कैम तथा प्रोफेसर भर्तियों में हुआ फर्जीवाड़ा हम सभी के सामने है।
सुरजीत ने कहा कि इन सभी समस्याओं के समाधान के लिए संघर्ष करने की जरूरत है ताकि आने वाले समय में समाज के निम्न तबके के छात्रों के लिए इस विश्वविद्यालय की शिक्षा को बचाया जा सके। साथ ही उन्होंने कहा कि एस एफ आई आने वाले समय के अंदर विश्वविद्यालय में जो शिक्षा का निजीकरण और विश्वविद्यालय कैंपस का ठेकाकरण किया जा रहा है उसके खिलाफ छात्रों को लामबंद करते हुए एक उग्र आंदोलन विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ तैयार करेगी।
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