सरकार की नीतियों के कारण प्रदेश के सैकड़ों छात्र परेशान: करण भटनागर

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के इकाई  अध्यक्ष करण भटनागर ने  बताया कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद हमेशा से ही छात्र हितों की बात करती है लेकिन वर्तमान सरकार की नीतियों के कारण प्रदेश के सैकड़ों छात्र परेशान हैं। एक तरफ प्रदेश सरकार व्यवस्था परिवर्तन की बड़ी- बड़ी बातें करती नहीं थक रही। दूसरी तरफ प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनते ही सरकार द्वारा अधिसूचना जारी की जाती है कि अप्रैल 2022 के बाद खुले सभी शिक्षण संस्थानों को डिनोटिफाई कर दिया गया है। आंकड़ों की दृष्टि से देखें तो लगभग ऐसे 24 महाविद्यालय अप्रैल 2022 के बाद छात्रों की सुविधा के लिए तत्कालीन प्रदेश सरकार ने खोले थे। लेकिन डिनोटिफाई होने के कारण प्रदेश के 766 छात्र तथा कई अध्यापक असमंजस में है।  देखा जाए तो कई महाविद्यालय ऐसे हैं जहां पर सुचारू रूप से पूरे वर्ष कक्षाएं लगी हैं। परंतु सरकार द्वारा उन्हें डिनोटिफाई करने की अधिसूचना के बाद हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा उन्हें रजिस्ट्रेशन करवाने नहीं दी जा रही है।
  जिसके कारण छात्र परेशान हैं उन्हें यह समझ नहीं आ रही कि वह आगे क्या करें। कई छात्र रोज विश्वविद्यालय अपनी समस्या को लेकर पहुंच रहे हैं,लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन स्वयं सरकार की इस अधिसूचना के कारण असमंजस की स्थिति में है कि कैसे उन छात्रों की रजिस्ट्रेशन करवाई जाए। विद्यार्थी परिषद प्रदेश सरकार से मांग करती है कि तुरंत इस सारे मामले पर  स्थिति स्पष्ट करे तथा विश्वविद्यालय  प्रशासन से भी यह मांग करती है कि उन छात्रों की रजिस्ट्रेशन के लिए कोई वैकल्पिक रास्ता तैयार किया जाए ताकि उनका 1 साल खराब न हो। अभी भी जो महाविद्यालय डिनोटिफाई हुए हैं उन महाविद्यालयों में शिक्षकों को वापिस नहीं बुलाया गया है ऐसी स्थिति में यह दुविधा बनी हुई है कि यह महाविद्यालय आगे सुचारू रूप से चलेंगे या नहीं।
विद्यार्थी परिषद विश्वविद्यालय इकाई ये मांग करती है कि जल्द से जल्द प्रदेश सरकार तथा हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय प्रशासन इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए इस सारी स्थिति पर अपना रुख स्पष्ट करे तथा छात्रों की समस्या का तुरंत समाधान करे,नहीं तो आने वाले समय में विद्यार्थी परिषद विश्वविद्यालय इकाई विश्वविद्यालय प्रशासन तथा प्रदेश सरकार के खिलाफ एक उग्र आंदोलन करेगी जिसकी पूर्णता जिम्मेवारी प्रदेश सरकार तथा विश्वविद्यालय प्रशासन की होगी।

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