प्रत्यूष चौहान ने बताया कि वर्ष 2020 में हिमाचल प्रदेश सहकारी सभाएं अधिनियम 1968 में संशोधन किया गया था जिसके अनुसार सहकारी सभाओं को स्वयं अपना ऑडिटर आम जलास में सर्वानुमति से नियुक्त करने तथा हर वर्ष 30 सितम्बर से पहले सभा का ऑडिट पूर्ण करने का प्रावधान किया गया था। लेकिन, जिला की कई सहकारी सभाओं के सचिवों एवं प्रबंधन समितियों ने ऑडिट समय पर नहीं करवाया। इन सचिवों एवं प्रबंधन समितियों पर विभागीय कार्रवाई की गई थी। सहायक पंजीयक ने बताया कि इस वर्ष फरवरी में ही विभाग ने सभा के सचिवों एवं प्रबंधन समितियों को समय पर अपना रिकॉर्ड तथा ऑडिट संबंधित कार्य पूर्ण करने के आदेश जारी कर दिए हैं। इसकी जिम्मेदारी सभा के सचिव एवं प्रबंधन समिति की होगी।
सहायक पंजीयक ने सभी प्रमाणित सहकारी लेखा परीक्षकों एवं विभाग में सूचीबद्ध चार्टर्ड अकाउंटेंट्स को भी समय पर ऑडिट पूर्ण करने के निर्देश जारी किए। ऑडिट के दौरान न्यूनतम 25 प्रतिशत ऋण खाते सत्यापित होने आवश्यक हैं, जिसका उत्तरदायित्व सभा सचिव एवं प्रबंधन समिति का है। प्रत्यूष चौहान ने कहा कि समय पर ऑडिट न होने पर सभा सचिव, प्रबंधन समिति एवं ऑडिटर पर विभागीय कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि सभी सचिव अपना रिकॉर्ड तैयार रखें, जिससे लेखा परीक्षक को ऑडिट करने में कोई कठिनाई न आए। इसके अतिरिक्त उन्होंने सहकारी सभाओं के सभी खाता धारकों एवं ऋणियों से भी अपील की है कि वे ऑडिट के दौरान लेखा परीक्षक से अपना खाता सत्यापित करवाएं ताकि सभा की सही वितीय स्थिति का आकलन किया जा सके तथा सभा के सदस्यों को किसी प्रकार का वितीय नुक्सान न हो।
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