एसएफआई ने पीजी प्रथम सत्र परीक्षाओ में आ रही दिक्कतों को लेकर और जो पीजी प्रथम सत्र के अंदर एनईपी के तहत सीबीसीएस के माध्यम से जो परेशानियां छात्रों को आ रही है उसको जल्द से जल्द सुलझाने के लिए मांग की ।
इस पर बात रखते हुए एसएफआई कैंपस सचिवालय सदस्य साहिल ने बात रखते हुए कहा कि विश्वविद्यालय इस बार पीजी प्रथम सत्र में एनईपी के तहत सीबीसीएस को लागू कर रहा है जिसके चलते छात्रों को परेशानी देखने को मिल रही है के चलते छात्र परेशान है कि वह इस सिस्टम के अंदर किस तरह अपनी परीक्षाओं की तैयारियां करेगा
एसएफआई मांग कर रही है कि री वैल्यूएशन का के परिणाम को जल्द घोषित किया जाए परन्तु अभी तक रिजल्ट पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाया है। जिसके अंदर अभी भी काफी कमियां देखने को मिल रही है। इसके चलते छात्रों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि कुछ महाविद्यालय के अंदर मिड टर्म आरंभ हो चुके है पर छात्रो को मालूम नहीं है की वह किस ईयर को वह परीक्षाएं दे।
इस धरने को संबोधित करते हुए कैंपस उपाअध्यक्ष हैप्पी ने कहा की पिछले लम्बे समय से प्रदेश सरकार एनईपी को लागू करने के प्रयत्न करने जा रहे जिसमे मातृभाषा में अध्यन करना और करवाना असंभव है हमने जीडीपी का 6% खर्च करना लक्ष्य रखा लेकिन भारत सरकार अभी जीडीपी का 2.5% ही खर्च करवा पा रही है जो एनईपी के तहत असंभव सा अनुमान लगाया जा रहा है। आज शिक्षा पर जीडीपी खर्च करने में भूटान से भी पीछे है एनईपी में शिक्षा के समवर्ती सूची से हटा के केंद्रीयकरण करने की कोशिश की जा रही है इसके साथ एससी, एसटी जेआरएफ वा अन्य स्कॉलरशिप के बारे से कोई प्रावधान नहीं है और छात्र अगर इन पर मुद्दा लड़ना चाहे तो उनके लिए कोई एससीए का प्रवधान नही है ऐसे में कैंपस डेमोक्रेसी के लिए आने वाले समय में खतरा है और बीजेपी सरकार ने अनपर्लियामेंरी तौर पर इसको पास किया है जिसके तहत एनईपी का पहला कदम सीबीसीएस है जिसमे 2013 से यूजी मै लाया गया और हिमाचल प्रदेश में 2015 में छात्रों को उसका खामयाजा देखने को मिला जब 98% छात्र फेल हो गए अब हिमाचल प्रदेश में पीजी में इसे लाना दुर्भाग्य का विषय है दूसरी तरफ इआरपी जैसा घटिया सिस्टम छात्रों के रिजल्ट तक निकलने में सक्षम नहीं है ईआरपी सिस्टम के चलते छात्र अपना फॉर्म भरता है तो काफी बार देखने को मिलता है की उनका डाटा गायब हो जाता है इस तरह और भी रिजल्ट में काफी गड़बडीया देखने को मिल रही है। आज यूजी पीजी का छात्र संकट में है 13 करोड़ खर्च करने के बावजूद भी सिस्टम में रद्दी भर सुधार नहीं ऐसे में सीबीएस छात्रों पर थोपना ठीक नही होगा इसका परिणाम है इसका परिणाम आने वाले समय में देखने को मिलेंगे ।
एसएफआई ने चेतावनी देते हुए कहा कि एनईपी सीबीएससी और ईआरएफ को खत्म कर और इसके लिए कोई और सिस्टम प्रदेश द्वारा लाया जाना चाहिए इन मांगों को जल्द से जल्द पूरा किया जाए। अगर जल्द छात्र मांगों को सकारात्मक रूप से सुलझाया नहीं गया तो आने वाले समय के अंदर विश्वविद्यालय के अंदर आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी और अथॉरिटी का उग्र घेराव किया जाएगा।
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