हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय ने पिछले साल नवंबर माह में यूजी के परीक्षा परिणाम घोषित किए थे। इन परिणामों में 80 प्रतिशत छात्रों को फेल कर दिया गया था। जिसके चलते छात्रों ने उसके खिलाफ आंदोलन किया। छात्रों के आंदोलन के आगे प्रशासन को झुकना पड़ा तथा सभी छात्रों को रिवॉल्यूशन भरने के लिए कहा गया। साथ ही प्रशासन ने यह भी कहा कि रिवॉल्यूशन के रिजल्ट को दिसंबर माह तक घोषित कर दिया जाएगा। परंतु आज दो महीने से ज्यादा वक्त होने को है अभी तक रिवॉल्यूशन के रिजल्ट को घोषित नहीं किया गया है।
इस पर बात रखते हुए एसएफआई कैंपस सचिव सुरजीत ने कहा कि रिवॉल्यूशन के रिजल्ट घोषित न करने से विश्वविद्यालय प्रशासन प्रदेश के हजारों छात्रों के भविष्य को अधर में लटकाए हुए हैं। कुछ छात्र तो ऐसे है जो रिजल्ट क्लियर न होने की वजह से रिवॉल्यूशन भी नहीं भर पाए थे। उन सभी के रिजल्ट्स को भी अभी तक सेटल नहीं किया गया है। प्रशासन का यह सुस्त रवैया प्रदेश के छात्रों के भविष्य के लिए खतरा बनता जा रहा है।
एसएफआई कैंपस अध्यक्ष हरीश ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय पीजी के परीक्षा परिणाम घोषित कर रहा है। इन परिणामों में भी हालत यह है कि अभी तक जितने भी परिणाम आए हैं उनमें से एक भी परिणाम पूर्ण रुप से सही नहीं था। एक ओर तो विश्वविद्यालय प्रशासन ने इन परिणामों को घोषित करने में जरूरत से अधिक समय लगा दिया परंतु देरी से परिणाम घोषित करने पर भी यह परिणाम आधे अधूरे ही घोषित किए जा रहे हैं।
इसके अलावा हरीश ने कहा कि अभी विश्वविद्यालय छात्रों से एग्जामिनेशन फॉर्म भरवा रहा है इसमें भी छात्रों को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। जैसे पीजी में सीबीसीएस लागू करने से छात्रों को अपने परीक्षा फॉर्म भरते समय चॉइस बेस सिस्टम के चलते दो नए विषयों में परीक्षा फॉर्म भरने को कहा है। एसएफआई इसकी कड़ी निंदा करती है क्योंकि सत्र के शुरू होने से खत्म तक छात्रों को वह विषय कक्षाओं में नही पढ़ाए गए है जिससे छात्र बहुत परेशान है। वि.वि. जबरन सीबीसीएस और ईआरपी को छात्रों पर थोपने की कोशिश कर रही हैं।
एस एफ आई पिछले लंबे समय से यह मांग कर रही है कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के अंदर इआरपी सिस्टम को सुदृढ़ किया जाए क्योंकि यह सभी समस्याएं इआरपी सिस्टम की खामियों की वजह से ही हो रही है। यह बड़ी दुर्भाग्य की बात है कि सब कुछ ज्ञात होते हुए भी प्रशासन मूक दर्शक बने हुए हैं तथा छात्र इस सिस्टम की अनियमितताओं को झेलने के लिए मजबूर है।
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