अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद विश्वविद्यालय इकाई द्वारा बुधवार को पिंक पेटल पर विशाल धरना प्रदर्शन किया गया । जिसमे परिषद ने प्रदेश के छात्रों के समक्ष आने वाली विभिन्न प्रकार की समस्याओं के खिलाफ आवाज उठाते हुए सरकार के प्रति रोष प्रकट किया । इकाई मंत्री इंद्र सेन नेगी ने बताया कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद पिछले 75 वर्षों से छात्र हितों के लिए आवाज बुलंद करती आई है। धरने में छात्र संघ चुनावों को बहाल करने की मांग को प्रमुखता से उठाया गया । इंद्र नेगी ने कहा कि पूर्व की सरकारों के भांति भी वर्तमान सरकार भी छात्रों को छात्रों के एक मात्र लोकतांत्रिक अधिकार से वंचित रखने का काम कर रही है। इकाई मंत्री ने बताया कि 2013 में भी कांग्रेस सरकार ने छात्र संघ चुनावों के ऊपर प्रतिबंध लगाए थे और उससे बाद की भाजपा सरकार ने भी सता मे आने के लिए जूठे वादे तो करे परंतु सता प्राप्ति के पश्चात छात्र संघ चुनाव के मुद्दे पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने का काम किया ओर छात्रों को उनके अधिकार से वंचित रखा गया। अपनी दूसरी मांग में परिषद ने विश्वविद्यालय में स्थाई कुलपति की नियुक्ति करने के लिए और विश्वविद्यालय की स्वायत्तता को शीघ्र बहाल किया जाए लम्बे समय से विश्वविद्यालय बिना कुलपति से चल रहा है वर्तमान सरकार को बने भी लगभग 4 माह हो चुके है परंतु आज तक सरकार कुलपति नियुक्त करने में असमर्थ साबित हुई है। जिस कारण काफी समय से विश्वविद्यालय बिना कुलपति से चल रहा है। इसी के साथ अपनी अगली मांग रखते हुए परिषद ने कहा कि प्रदेश के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में आधारभूत संरचना को सुदृढ़ किया जाए।
परिषद ने ईआरपी प्रणाली के खिलाफ आवाज उठाते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन के प्रति रोष जताया और मांग रखी गई की इस प्रणाली में जल्द से जल्द सुधार किया जाए।
इसी के साथ -साथ परिषद ने कहा कि महाविद्यालय में प्राचार्य, शिक्षकों व गैर-शिक्षकों की भर्तियां शीघ्र की जाएं।
साथ ही साथ शोधार्थियों को मिलने वाली 3000 शोध प्रोत्साहन राशि को जल्द से जल्द लागू किया जाए।
प्रदेश की कृषि विश्वविद्यालय और नौणी विश्वविद्यालय में बढी फीसों को कम किया जाए। विश्वविद्यालय इकाई सह मंत्री मुकेश मुसाफिर ने अपने वक्तव्य में कहा कि सुख की सरकार द्वारा अभी तक दुख भरे काम किए गए हैं और अपने आंदोलन में आने वाली 28 तारीक को परिषद एक दिन की सांकेतिक भूख हड़ताल भी निश्चित की गई है।यदि विद्यार्थी परिषद की इन मांगों को पूरा न किया गया तो परिषद उग्र आंदोलन करने से गुरहेज नहीं करेगी।
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