भून्तर में झुग्गियों में रहने वाले प्रवासियों ने स्वयं ही अपने अस्थाई तंबुओं और झुग्गियों को उखाड़ कर वहां से जाने के लिए की गाड़ियों की व्यवस्था :तहसीलदार भून्तर डॉ गणेश

भून्तर में बसी अस्थाई झुग्गियों को हटाने तथा प्रवासियों को स्थान खाली करवाने के सम्बंध में तहसीलदार भून्तर डॉ. गणेश ने वीरवार को कहा कि  भून्तर में बसी अस्थाई झुग्गियों को हटाने के लिए बाकायदा पूरी प्रक्रिया पहले से ही चल रही थी तथा यहां अस्थायी रूप से रह रहे प्रवासियों को उनकी सहमति से ही स्थान छोड़ने के लिए कहा गया था।इस सम्बंध में नगर पंचायत भून्तर द्वारा  भी इस स्थान को ख़ाली करने का आग्रह किया गया था तथा पार्वती व व्यास नदी का संगम स्थल होने के कारण यह स्थल धार्मिक दृष्टि से स्थानीय लोगों ही नहीं बल्कि देवसमाज की भी आस्था इस स्थल से जुड़ी है। इनके द्वारा भी इस स्थान को खाली करने का आग्रह किया गया था।इन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया के दौरान सर्वप्रथम 15 जून 2022 को उप मण्डल अधिकारी कुल्लू द्वारा भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 133 के अंतर्गत आदेश पारित किए हुए थे जिसमें यहां बसे अस्थाई झुग्गियों में रह रहे प्रवासियों को झुग्गियों को हटाने व इस स्थान को ख़ाली करने के लिए नोटिस जारी किया गया था। इन्हें उचित समय अवधि के भीतर अपना पक्ष एवं जवाब प्रस्तुत करने के लिए  अवसर भी दिया गया था। परन्तु इस समय अवधि के बीच जब झुग्गी में रहने वाले प्रवासियों की ओर से कोई भी जवाब नहीं मिला तो  24 फ़रवरी 2023 को भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता के धारा 136 एवं  आपदा अधिनियम की धारा 34 के अंतर्गत इन्हें 10 मार्च 2023 को अपनी अस्थाई झुग्गियों को हटाने व इस स्थान को खाली कर स्थान छोड़ने के आदेश दिए थे। परंतु 9 मार्च 2023 को अस्थाई झुग्गियों में रहने वाले प्रवासियों के प्रतिनिधियों ने उपमण्डल अधिकारी से मिलकर लिखित रूप में बयान देकर बच्चों की चल रही परीक्षाओं का हवाला देकर स्वयं ही 31 मार्च 2023 तक का समय मांगा तथा उसके उपरांत स्वयं ही इस स्थान को छोड़कर चले जाने की बात कही। इसपर उपमण्डलाधिकारी द्वारा 4 अप्रैल की तिथि उनके लिए स्थान छोड़ने की अंतिम तिथि सुनिश्चित की गई।
 4 अप्रैल 2023 को प्रवासियों ने स्वयं ही अपने अस्थाई तम्बू व झुग्गी उखाड़ लिए तथा अपने गंतव्य के लिए पहुंचने के लिए स्वयं ही गाड़ियों की व्यवस्था की।
 इस कार्यवाही के दौरान प्रशासन की ओर से किसी प्रकार का भी दबाव अथवा प्रभाव का प्रयोग नहीं किया गया तथा प्रशासन की ओर से उन्हें छोड़ने अथवा किसी स्थान तक पहुंचाने की कोई निर्देश नहीं थे ।

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