पुनर्मूल्यांकन के परिणाम घोषित न करने पर वीसी कार्यालय के बाहर एबीवीपी ने किया धरना प्रदर्शन।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद हि. प्र. विवि इकाई द्वारा वी सी कार्यालय के बाहर स्नातक परीक्षाओं के पुनर्मूल्यांकन के परिणाम घोषित करने में देरी को लेकर मंगलवार को धरना प्रदर्शन किया गया। विद्यार्थी परिषद का कहना है कि 5 माह  पहले विश्वविद्यालय द्वारा स्नातक कक्षाओं के परिणाम घोषित किए गए थे परंतु उनमें कई प्रकार की त्रुटियां भी देखने को मिली। जब परिषद द्वारा इस बाबत विश्वविद्यालय  में प्रशासनिक अधिकारियों से बात की गई तो प्रशासन द्वारा छात्रों को आश्वासन दिया गया कि मूल्यांकन में आई कमियों को लेकर छात्र पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन करे जिसका परिणाम हम एक माह के भीतर घोषित करेंगे। परंतु चिंतनीय विषय यह है कि लगभग 5 माह का समय होने को आया है लेकिन प्रशासन  पूर्ण रूप से  परिणाम घोषित करने में असफल रहा है ।  

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय  पीएचडी दाखिले को लेकर फिर सवालों के घेरे में

इकाई अध्यक्ष करण ने कहा कि पिछले वर्ष पीएचडी मामलों को लेकर प्रदेश विश्वविद्यालय में छात्र संगठनों ने पीएचडी दाखिला प्रणाली को लेकर कई सवाल उठाए थे। उसी की भांति इस वर्ष भी विद्यार्थी परिषद विश्वविद्यालय इकाई ने एक मामला उठाते हुए कहा कि नियमों को ताक पर रखते हुए प्रदेश विश्वविद्यालय सरकार के दबाव के कारण अपने चहेतों की पीएचडी रिवाइव करवाने का काम कर रही है। 
गौरतलब है कि प्रदेश विश्वविद्यालय में 100 से अधिक ऐसे शोधार्थी हैं जिनकी पीएचडी कैंसिल हो चुकी है। लेकिन प्रदेश विश्वविद्यालय किसी एक व्यक्ति विशेष की पीएचडी को सरकारी दबाव के कारण रिवाइव कर अन्य शोधार्थियों के साथ अन्याय करने का काम कर रही है। 
करण ने कहा कि नियमों के अनुसार अगर किसी शोधार्थी की पीएचडी कैंसिल हो जाती है तो उसे पुनः दाखिला नहीं मिलता है। लेकिन प्रदेश विश्वविद्यालय प्रशासन किसी एक व्यक्ति विशेष के पीएचडी मे पुनः दाखिला देकर नियमों को तोड़ रही है । विद्यार्थी परिषद का यह मानना है कि किसी एक व्यक्ति विशेष को इस तरीके से नियमों को ताक पर रखते हुए पुनः दाखिला देना गलत है। अगर विश्वविद्यालय पीएचडी में पुनः दाखिला देना चाहता है तो सभी ऐसे शोधार्थियों को जिनकी पीएचडी कैंसिल हुई है उन सभी को पुनः दाखिला दे।
विद्यार्थी परिषद में विश्वविद्यालय प्रशासन सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकारी दबाव के कारण किसी व्यक्ति विशेष की पीएचडी में रीएडमिशन होती है तो विद्यार्थी परिषद के विरोध का सामना विश्वविद्यालय प्रशासन व सरकार को करना पड़ेगा।

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