हिमाचल प्रदेश राज्य कामगार कल्याण बोर्ड द्वारा मनरेगा, निर्माण व बीआरओ मज़दूरों के लाभ पिछले आठ महीनों से गैर कानूनी तरीके से रोकने के खिलाफ व इन्हें तुरन्त बहाल करने की मांग को लेकर 5 जून को मज़दूर संगठन सीटू से सम्बंधित मनरेगा व निर्माण मज़दूर फेडरेशन प्रदेश सरकार सचिवालय छोटा शिमला पर विशाल प्रदर्शन करेगी तथा टोलैंड से एक रैली का आयोजन करेगी। इसमें प्रदेशभर से सैकड़ों मनरेगा,निर्माण व बीआरओ मजदूर शामिल होंगे। सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा,महासचिव प्रेम गौतम,फेडरेशन अध्यक्ष जोगिंद्र कुमार व महासचिव भूपेंद्र सिंह ने कहा है कि बोर्ड से पंजीकृत मनरेगा, निर्माण व बीआरओ मज़दूरों की सहायता राशि बोर्ड के सचिव ने पिछले आठ महीने से गैर कानूनी तरीक़े से रोक कर रखी है जिससे साढ़े चार लाख मज़दूरों को मिलने वाली आर्थिक सहायता और पंजीकरण के लाभ रोक दिए गए हैं।
बार - बार बोर्ड के सचिव से इसे जारी करने की मांग करने और 3 अप्रैल को नवगठित बोर्ड की मीटिंग में फैसला हो जाने के बाद भी ये रुके हुए आर्थिक लाभ बहाल नहीं हुए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य कामगार कल्याण बोर्ड में क़ानून के प्रावधानों के तहत मनरेगा, निर्माण व बीआरओ मज़दूरों का पंजीकरण हुआ है लेकिन इनके कानूनी लाभ अधिकारियों ने बोर्ड और सरकार की अनुमति के बिना ही रोक दिए हैं। यूनियन ने मांग की है कि मज़दूरों का पंजीकरण और नवीनीकरण जल्दी शुरू किया जाए और पिछले तीन सालों की लंबित सहायता राशि जल्दी जारी की जाए। इस रोक के कारण मज़दूरों के बच्चों को मिलने वाली छात्रवृति, शादी, बीमारी, प्रसूति, मृत्यु सहायता राशि और पेंशन इत्यादि सभी प्रकार की सहायता रोक दी गई है। बोर्ड के अधिकारियों ने एक और ग़लत फैसला लिया है जिसके तहत निजी रिहायशी मकानों में काम करने वाले मज़दूरों को सेस/उपकर अदा करने की शर्त लगा दी गयी है जो क़ानून के ख़िलाफ़ है। इसी प्रकार कानून के विरुद्ध मज़दूर यूनियनों को रोज़गार प्रपत्र जारी करने और सत्यापित करने के अधिकार को भी समाप्त कर दिया गया है। एक्सपर्ट कमेटी में केवल अधिकारियों को ही रखा गया है जबकि इसमें मज़दूर यूनियनों के सदस्य भी होने चाहिए ।बोर्ड के पैसे का पिछले समय में प्रचार प्रसार के नाम पर भारी दुरूपयोग हुआ है। इसकी जांच होनी चाहिए । उन्होंने कहा कि यदि जल्दी ही मजदूरों के रुके हुए आर्थिक लाभों को बहाल नहीं किया जाता है तो आंदोलन तेज होगा।
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