जिला संवाददाता शिमला।
प्रदेश हाईकोर्ट ने लाल बहादुर शास्त्री कॉलेज नेरचौक (मंडी) में प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर पदों को भरने पर रोक लगा दी है। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने नोटिस जारी कर राज्य सरकार से उत्तर मांगा है।
सीधी भर्ती के तहत पद भरा जा सकता है अगर पदोन्नति से कोई उम्मीदवार नहीं है। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि भर्ती और पदोन्नति नियम कॉलेज में प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर पदों को नहीं भरते हैं। अदालत को बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्य के विभिन्न पदों या सेवाओं को भर्ती नियमों के तहत भरा जाएगा। अदालत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला प्रथम दृष्टया कॉलेज में प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर पदों की भर्ती प्रक्रिया से उलट है।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने लाल बहादुर शास्त्री कॉलेज नेरचौक (मंडी) में प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर पदों को भरने पर रोक लगा दी है। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने नोटिस जारी कर राज्य सरकार से उत्तर मांगा है। 16 अगस्त सुनवाई है। अनुबंध के आधार पर भरे जा रहे इन पदों को याचिकाकर्ता शालिनी शर्मा ने चुनौती दी है। मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने पहली बार पाया कि कॉलेज प्रशासन की भर्ती प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के खिलाफ है।
न्यायालय को बताया गया कि 9 जून 2023 को लाल बहादुर शास्त्री कॉलेज मंडी ने प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर पदों के लिए विज्ञापन जारी किया है। इसके अनुसार, वाॅक इन इंटरव्यू के आधार पर इन पदों को भरने का निर्णय लिया गया है। आरोप लगाया गया कि भर्ती और पदोन्नति नियमों के अनुसार इन पदों को अनुबंध आधार पर नहीं भरा जा सकता है। 2 दिसंबर 1999 के भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के तहत इन पदों पर 100 प्रतिशत पदोन्नति दी जाएगी।
सीधी भर्ती के तहत पद भरा जा सकता है अगर पदोन्नति से कोई उम्मीदवार नहीं है। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि भर्ती और पदोन्नति नियम कॉलेज में प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर पदों को नहीं भरते हैं। अदालत को बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्य के विभिन्न पदों या सेवाओं को भर्ती नियमों के तहत भरा जाएगा। अदालत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला प्रथम दृष्टया कॉलेज में प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर पदों की भर्ती प्रक्रिया से उलट है।
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