सीटू से सबंधित मनरेगा व निर्माण मज़दूर फेडरेशन के आह्वान पर हज़ारों मज़दूरों ने सुक्खू सरकार के ख़िलाफ़ सोमवार को शिमला में उग्र प्रदर्शन किया । जिसका नेतृत्व फेडरेशन के राज्य अध्यक्ष जोगिन्दर कुमार, महासचिव भूपेंद्र सिंह, सीटू के राज्य अध्यक्ष विजेंद्र मैहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने किया। प्रदर्शन में सीटू के राष्ट्रीय सचिव डॉकश्मीर सिंह ठाकुर, रविन्द्र कुमार, जगत राम, कुलदीप डोगरा, अजय दुलटा, राजेश शर्मा, गुरदास वर्मा, सुनील मेहता, चमन लाल, आशीष कुमार, मोहित, नरेंद्र, रंजन शर्मा, सुरेश राठौर आदि उपस्थित रहे। प्रदेश के सभी जिलों से आए हज़ारों मज़दूर सुबह से ही टोलेंड चौक पर एकत्रित होना शुरू हो गए थे और फ़िर वहां से हाथों में बैनर और प्ले कॉर्ड लेकर नारे लगाते हुए छोटा शिमला स्थित सचिवालय की ओर विरोध जलूस निकाला। मज़दूरों ने शांतिपूर्ण तरीके से अपना प्रदर्शन किया और पुलिस के रोकने पर सड़क पर बैठ कर दो घंटे तक धरना दिया और जनसभा आयोजित की। इसके बाद यूनियन के प्रतिनिधिमण्डल ने श्रम मंत्री धनी राम शांडिल से मुलाकात करके उन्हें ज्ञापन सौंपा। श्रम मंत्री ने आश्वासन दिया कि मजदूरों के रोके गए आर्थिक लाभों को तुरन्त जारी कर दिया जाएगा। इस बाबत एक सप्ताह के भीतर कामगार कल्याण बोर्ड की बैठक आयोजित करके इस सन्दर्भ में उचित निर्णय लिया जाएगा।
गौरतलब है कि सुक्खू सरकार ने शपथ ग्रहण के दूसरे दिन ही प्रदेश के साढ़े चार लाख मज़दूरों को राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड से मिलने वाली सहायता राशी और उनके बोर्ड में पंजीकरण व नवीनीकरण पर गैर कानूनी तरीके से पर रोक लगा दी है जिसके ख़िलाफ़ आज मज़दूर यूनियन ने विरोध प्रदर्शन किया। फेडरेशन के राज्य अध्यक्ष जोगिंद्र कुमार एवं महासचिव भूपेंद्र सिंह ने रैली को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश में सुखविंदर सिंह सुक्खू की अगुवाई में बनी कांग्रेस पार्टी की सरकार ने अपने शपथ ग्रहण से अगले ही दिन यानी 12 दिसंबर 2022 को जारी अधिसूचना के माध्यम से मनरेगा मज़दूरों के लाभ रोक दिए हैं और 8 फ़रवरी को जारी एक गैर कानूनी अधिसूचना के बाद भवन निर्माण मज़दूरों का पंजीकरण व नवीनीकरण भी रोक दिया है जिसके चलते पिछले छः माह से बोर्ड का काम पूर्ण रूप में बन्द है। उन्होंने बताया कि मज़दूर फेडरेशन ने इस बारे मुख्यमंत्री उनके सलाहकार श्रम विभाग और बोर्ड के सचिव बोर्ड के अध्यक्ष बगैरह से पिछले तीन महीनों में मुलाकात करके मज़दूरों के लाभों को बहाल करने की मांग की लेक़िन अभी तक ये रोक हटाई नहीं गई है जिसके चलते अब मज़दूरों को शिमला आकर विरोध प्रदर्शन करना पड़ रहा है। हालांकि 3 अप्रैल को आयोजित बोर्ड बैठक में पिछले तीन साल के लंबित लाभ जारी करने बारे फ़ैसला हो गया था लेकिन उसे अभी तक लागू नहीं किया गया है। सीटू के राष्ट्रीय सचिव डॉक्टर कश्मीर सिंह ठाकुर ने कहा कि बोर्ड में पिछले दस साल में सबसे ज्यादा 75 हज़ार हमीरपुर ज़िला के मज़दूर सदस्य बने हैं और उन्हें बोर्ड से कई करोड़ रुपये के फायदे मिल चुके हैं लेकिन मुख्यमंत्री और उनके राजनैतिक सलाहकार जो हमीरपुर से ही सबन्ध रखते हैं दोनों ने मिलकर ये सब रोक लगाई है जिसके कारण अब उन्हें अपने ही घर में विरोध का सामना करना पड़ रहा है जिसका सबूत ये है कि सबसे ज्यादा मज़दूर हमीरपुर ज़िला से ही आज शिमला रैली में आये हैं और उन्हें अब इसके राजनैतिक परिणाम अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों में भुगतने पड़ेंगे। उन्होंने बताया कि कांग्रेस पार्टी की सरकार बनाने में इस बार निर्माण व मनरेगा मज़दूरों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया था लेकिन इस सरकार ने सबसे पहले उन्हीं के ख़िलाफ़ फैसला लिया है।
सीटू राज्य अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने इस दौरान कहा कि सुक्खू सरकार का ये फ़ैसला किसी तरह से भी जायज़ नहीं है और उन्हें जल्दी ही मज़दूरों के लाभ जारी करने के लिए निर्णय लेना चाहिए अन्यथा सीटू सरकार के इस मज़दूर विरोधी फ़ैसले के ख़िलाफ़ अभियान तेज़ करेगी और इसमें दूसरी मज़दूर यूनियनों को भी साथ लेगी। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि सुक्खू सरकार ने बोर्ड और श्रम विभाग की अफ़सशाही के द्धारा केंद्र सरकार द्धारा वर्ष 2017 में जारी दिशा निर्देश की ग़लत व्याख्या करके और भवन निर्माण मज़दूरों के पंजीकरण और नवीनीकरण हेतु सेस(उपकर) अदायगी की शर्त गैर कानूनी तौर पर लगा दी है जो भवन एवं अन्य सन्निर्माण क़ानून 1996 की धारा 12(1)के विपरीत है जिसके बारे हमने सभी स्तरों पर ज्ञापन देकर बात रखी है लेकिन ये सरकार इस गैर कानूनी अधिसूचना को भी रदद् नहीं कर रही है। उन्होंने मुख्यमंत्री से आज 6 जून को होने वाली मंत्रिमंडल की बैठक में इस बारे फ़ैसला लेने की मांग की है और औऱ यदि सरकार ने ऐसा नहीं किया तो सीटू आंदोलन तेज करेगी।
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