हिमाचल में बाढ़ आने 19 पुल बहे ,34 बुरी तरह डैमेज; कुल्लू में सबसे ज्यादा 8 और मंडी में 5 ब्रिज बर्बाद, 110 करोड़ का नुकसान

 हिमाचल में बाढ़ में 19 पुल बहे:34 बुरी तरह डैमेज; कुल्लू में सबसे ज्यादा 8 और मंडी में 5 ब्रिज बर्बाद, 110 करोड़ का नुकसान




मंडी के ओट में ब्यास में दबा पुल, जो अब बह गया है

हिमाचल प्रदेश की लाइफ-लाइन कहे जानी वाली सड़कों को कनेक्ट करने वाले 19 पुल बाढ़ में बह गए हैं, जबकि भारी बारिश से 34 पुलों को काफी ज्यादा नुकसान हुआ है। ब्रिज बहने से 55.97 करोड़ रुपए और क्षतिग्रस्त अन्य पुलों को 41 करोड़ रुपए का नुकसान आंका गया।


PWD अधिकारियों की मानें तो पुलों की नई DPR बनने के बाद इनकी लागत और बढ़ेगी। जाहिर है कि अब नए पुल बनाने पर व्यय वास्तविक नुकसान कहीं ज्यादा होगा। बहे और क्षतिग्रस्त पुलों के अलावा भी 250 पुलों को आंशिक नुकसान पहुंचा है। कुल मिलाकर 74 के करीब पुलों को 110 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।


प्रदेश में भारी बारिश के कारण 1600 से ज्यादा सड़कें क्षतिग्रस्त हुई हैं। इनमें से 550 सड़कें 16 दिन से बंद पड़ी हैं। इससे लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। खासकर सेब बेल्ट के लोग ज्यादा परेशान हैं, क्योंकि फसल तैयार है। मगर, सड़कें और पुल क्षतिग्रस्त होने से ढुलाई पर बुरा असर पड़ रहा है।




PWD को 1740 करोड़ का नुकसान

इस बार मानसून में लोक निर्माण विभाग (PWD) को अब तक 1740 करोड़ रुपए की चपत लग चुकी है। कुल्लू व मंडी जिले में पुलों व सड़कों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। अकेले मंडी सर्कल में 5 पुल और कुल्लू सर्कल में 8 पुल बाढ़ में बह गए।


रामपुर सर्कल में 2 तथा रोहड़ू, धामी, धर्मपुर और नूरपूर सर्कल में एक-एक पुल नष्ट हुआ है। पुलों के बहने के बाद वैकल्पिक सड़कों से यातायात चलाया जा रहा है। कुछ क्षेत्रों में इससे लोगों को कई-कई किलोमीटर का एक्स्ट्रा सफर करना पड़ रहा है।


अब शिमला में सेब ढुलाई हो रही प्रभावित

पुल को मंडी व कुल्लू में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है, लेकिन सड़कों को शिमला में भारी नुकसान हुआ है। शिमला जिला सेब उत्पादन के लिए दुनियाभर में मशहूर है। मगर अब सड़कें बंद या क्षतिग्रस्त होने से सेब की ढुलाई पर बुरा असर पड़ रहा है।


पहले कभी PWD को इतना नुकसान नहीं हुआ: गुप्ता

PWD के प्रमुख अभियंता अजय गुप्ता ने बताया कि भारी बारिश से 15 पुल पूरी तरह बह गए, जबकि 34 को नुकसान हुआ है। इससे सड़कों को भी भारी नुकसान हुआ है। इससे पहले कभी PWD को इतना नुकसान नहीं हुआ।

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