5 जुलाई।
प्रदेश में 24 किलो सेब की पैकिंग और दो किलो सेब की कटौती पर बागबानी मंत्री ने स्पष्टीकरण दिया।
बागबानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने हिमाचल प्रदेश सेब की 24 किलो की पैकिंग और दो किलो की कटौती पर अपना रुख स्पष्ट किया है। सोमवार को शिमला में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि राज्य में अब सेब किलो के हिसाब से ही बिकेगा और बागबानों को जितने किलो सेब मिलेंगे उसी हिसाब से भुगतान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सेब में कोई कटौती नहीं की जा रही है, जबकि मण्डियों में दो किलो की कटौती की जा रही है। बागबानी मंत्री ने कहा कि बारदाने के वजन को हटाकर बागबानों को जितने किलो का सेब होगा उतने ही किलो पेंमेंट किया जाएगा। बागबानी मंत्री जगह सिंह नेगी ने स्पष्ट किया कि सेब किलो में ही मंडियों में बिकेगा।
सरकार ने सेब की एक पेटी का अधिकतम वजन 24 किलो कर दिया है। जब सेब को यूनिवर्सल ग्रेडिंग के अनुसार पैक किया जाएगा, तो उतना ही वजन होगा, लेकिन कई बागबानों की पेटी का वजन कम होता है। इसलिए सरकार इस बंदिश पर पुनर्विचार करेगी। अगर पेटी 24 किलो से अधिक वजन की है, तो बारदाने के वजन को काटकर सेब के वजन के अनुसार बागबानों को भुगतान करना होगा। अगर ऐसा नहीं होता, तो कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि दो या डेढ़ किलो बारदाने (पैकिंग मैटीरियल) की कटौती की जा रही है। बागबानों को सब पैसा मिल रहा है। 24 किलो सेब की पेटी पर दो किलो की कटौती का विवाद अभी भी जारी है। जबकि बागबान इसका विरोध कर रहे हैं, आढ़तियों का कहना है कि दो किलो की कटौती ठीक है। बागवानों का कहना है कि दो किलो कटौती गलत है।
फल मंडी भट्टाकुफर में सेब बेचने आए बागबानों ने बताया कि दो किलो की कटौती गैरकानूनी है। जैसे कि सब्जियों की बोरियां किसानों को वापस मिलती हैं, वैसे ही टमाटर की क्रेट भी बागबानों को वापस मिलती है, लेकिन कार्टन खरीददार ले जा रहे हैं. बागबानों ने इसके लिए जो पैसे खर्च किए हैं, उसकी भरपाई कैसे होगी?
सचिवालय में आज बागबानी मंत्री जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता में सेब सीजन की तैयारियों पर बैठक होगी। इसमें सेब सीजन से जुड़े सभी भाग शामिल होंगे। एचपीएमससी, मार्केटिंग बोर्ड, एपीएमसी, हिमफैड, लोक निर्माण, जिला प्रशासन और पुलिस के अधिकारी इसमें शामिल होंगे।इस बैठक में लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह भी उपस्थित रहेंगे।
शिमला: बारदाने के वजन के नाम पर सेब की एक किलो की पेटी पर कटौती पर विवाद जारी है। शिमला में मंगलवार को मीडिया से बातचीत करते हुए बागबानी मंत्री ने कहा कि बागवानों को सेब का पूरा पैसा मिल रहा है। बारदाने की कटौती हो रही है। बागबानों को बारदाने का वजन नहीं मिलेगा। वहीं, सेब बागबान मंत्री की घोषणा से प्रसन्न नहीं है। बागबानों का कहना है कि बारदाने के वजन के नाम पर हो रही कटौती गलत नहीं होगी। सरकार जल्द ही इस समस्या को हल करेगा। हरीश चौहान, संयुक्त किसान मंच के संयोजक, बताते हैं कि बाजार में कितने भी उत्पाद उपलब्ध हैं। उनके रेट में पैकिंग सामग्री का वजन भी शामिल है। चाहे चाय पत्ती के बॉक्स हो या चिप्स के पैकेट। ग्राहक को चिप्स के साथ-साथ पैकेट के पैसे भी देने पड़ते हैं।
कुल्लू की स्वादिष्ट नाशपाती भुंतर इस बार बाजार से गायब हो गई है — जून से जुलाई तक मार्केट में बादशाहत दिखाने वाली कुल्लू की स्वादिष्ट नाशपाती इस बार बाजार से गायब हो गई है। अब आंकड़ों में दिखने लगे हैं कि मौसमी मार के कहर ने बागबानों की आशा को कितना कुचल दिया है। इस बार जून के आखिरी व जुलाई के पहले सप्ताह की तुलना में इसी अवधि में फसल मार्केट में 99 प्रतिशत कम पहुंची है। इसलिए मूल्य 100 रुपए से अधिक है। भुंतर मंडी में नाशपाती का अधिकतम मूल्य 120 रुपए था। अब तक, कुल्लू मार्केट बोर्ड ने केवल 16 टन नाशपाती बेची है। जबकि पिछले साल जुलाई के पहले सप्ताह तक जिला भर की मंडियों में 1750 टन नाशपाती की फसल पहुंची थी, और मंडियों में केवल नाशपाती का बोलबाला था
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