27 जुलाई।
लैब शुरू होने के बाद, एम्स कार्डियोलॉजिस्ट विभाग मरीजों को पूरी तरह से सेवा
देना शुरू कर देगा। अब ओपीडी में ही सेवाएं उपलब्ध हैं।आगामी तीन महीने में हिमाचल
प्रदेश के बिलासपुर स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में कैथीटेराइजेशन
प्रयोगशाला शुरू होगी। यह शुरू होने के बाद बिलासपुर एम्स में ही दिल के मरीजों को
उचित चिकित्सा मिलेगी। मरीजों को एंजियोप्लास्टी और एंजियोग्राफी की सुविधाएं
मिलेंगी। AIMS में कैथ लैब की स्थापना का काम लगभग पूरा हो चुका है। आधुनिक उपकरण
इस लैब में उपलब्ध होंगे। लैब शुरू होने के बाद, एम्स कार्डियोलॉजिस्ट विभाग मरीजों
को पूरी तरह से सेवा देना शुरू कर देगा।
अब ओपीडी में ही सेवाएं उपलब्ध हैं। मरीजों
को अब एंजियोप्लास्टी या एंजियोग्राफी के लिए किसी अन्य संस्थान की ओर नहीं जाना
पड़ेगा। वहीं, निजी अस्पतालों में महंगी जांच कराने से भी बच जाएगा। कार्डियो के
मरीजों की जान बचाने में आधुनिक लैब महत्वपूर्ण होंगे। खास बात यह है कि एम्स जैसे
संस्थान में निर्मित कैथ लैब की मशीन वर्तमान में सटीक काम करती हैं। इनसे रेडिएशन
कम होगा और दिल की बीमारी से पीड़ित लोगों को एंजियोप्लास्टी और एंजियोग्राफी करने
में लगने वाला समय आधा होगा। कैथ लैब का काम बिलासपुर एम्स में 50% पूरा हो चुका
है। इस लैब में आधुनिक उपकरण होंगे। इस काम को आगामी तीन महीने में पूरा किया
जाएगा। इसके बाद मरीजों को बिलासपुर में इस लैब से जुड़ी सुविधाएं मिलने लगेंगी।
AIMS दुनिया भर में अपनी गुणवत्ता के लिए जाना जाता है, और बिलासपुर एम्स का लक्ष्य
देश भर में सबसे अच्छे स्वास्थ्य संस्थानों में शामिल होना है। बिलासपुर एम्स में
एमएस प्रोफेसर दिनेश वर्मा यह विभाग अभी तक एम्स बिलासपुर में नहीं है, लेकिन
गायनी, मेडिसिन और कार्डियो सहित लगभग सभी विभागों में जूनियर रेजिडेंट हैं। सीनियर
रेजिडेंट भी कई विभागों में हैं, लेकिन गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और नेफ्रो सर्जन के पद
अभी भी खाली हैं। यही कारण है कि एम्स में लोगों को यह दोनों सेवाएं नहीं मिल पा
रही हैं।
AIMS में भी नवजात गहन देखभाल इकाई (निकु) शुरू करने का काम चल रहा है।
हालाँकि, अभी तक यह कब तक शुरू होगा और काम कब तक पूरा होगा पता नहीं है।
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