14 जुलाई।
Upgraded Bahubali rocket will be launched for the moon at 2:35 pm today.
इसरो के वैज्ञानिकों ने गौरव मिशन की सफलता को तिरुपति में मनाया, जिससे भारत चांद पर राष्ट्रध्वज लगाने वाला चौथा देश बन जाएगा और चांद के दक्षिणी ध्रुव के करीब पहुंचने वाला पहला देश बन जाएगा।
गुरुवार को दोपहर एक बजकर पांच मिनट पर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्टेशन में चंद्रयान-3 की लांचिंग के लिए साढ़े 25 घंटे का काउंटडाउन शुरू हुआ। शुक्रवार को दोपहर दो बजे 35 मिनट पर सतीश धवन स्पेस सेंटर से उद्घाटन होगा। लांच व्हीकल मार्क-3 (एमवी-3), एक सुधारित बाहुबली रॉकेट, चंद्रयान-3 को अंतरिक्ष में भेजने के लिए तैयार है। एमवी-3 का लांचिंग सक्सेस रेट पूरी तरह से 100 प्रतिशत है। इसरो ने एक ट््वीट में कहा कि शुक्रवार को दोपहर दो बजकर 35 मिनट पर 43.5 मीटर लंबा वाहन वाहक 642 टन भार से उड़ान भरेगा। चंद्रयान-3 को उड़ान भरने के लगभग 16 मिनट बाद 179 किलोमीटर की जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (जीटीओ) में स्थापित किया जाएगा, जहां से यह सुरक्षित लैंङ्क्षडग और चंद्र की सतह पर घूमने की अपनी लंबी यात्रा शुरू करेगा।
3.5 लाख किलोमीटर से अधिक की यात्रा के बाद अगस्त के अंतिम हफ्ते में सॉफ्ट लैंडिंग होने की उम्मीद है। इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने बताया कि चंद्रमा पर सूर्योदय होने पर उतरने की तिथि निर्धारित की जाती है। हम उतरते समय सूर्य की रोशनी चाहिए। इसलिए 23 या 24 अगस्त को लैंडिंग होगी। उनका कहना था कि अगर 23 या 24 अगस्त को योजना के अनुसार चंद्रयान की लैंडिंग नहीं होती, तो इसरो सितंबर में फिर से प्रयास करेगा। सूर्य की रोशनी आने तक 14 दिनों तक लैंडर और रोवर चंद्रमा पर रहेंगे। सूर्य की रोशनी नहीं होने पर रोवर पर लगा एक छोटा सौर पैनल बिजली बनाता है, जो अगले 14 दिनों तक बैटरी को चार्ज करेगा। मिशन की सफलता सुनिश्चित करने के लिए गुरुवार को इसरो के वैज्ञानिक तिरुपति वेंकटचलापति मंदिर पहुंचे। पूजा के लिए वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-3 का मिनिएचर मॉडल भी ले लिया था। भारत चांद पर सफल लैंडिंग करने से चांद पर राष्ट्रध्वज पहुंचाने वाला चौथा देश बन जाएगा। भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव के करीब पहुंचने वाला पहला देश भी बन जाएगा। इस बार लैंडर में सिर्फ चार इंजन थे, पांचवां नहीं था। लैंडर में इस बार चारों कोनों पर चार इंजन (थ्रस्टर) होंगे, लेकिन पिछली बार बीचोंबीच लगा पांचवां इंजन हटा दिया गया था। साथ ही, अंतिम लैंडिंग केवल दो इंजन से होगी, ताकि आपातकालीन स्थिति में दो इंजन काम कर सकें। इस बार ऑर्बिटर नहीं होगा; इसके बजाय, प्रोपल्शन मॉड्यूल होगा, जो लैंडर और रोवर से अलग होकर चंद्रमा की परिक्रमा में घूमेगा और धरती पर जीवन के लक्षणों को खोजने की कोशिश करेगा। भविष्य में यह डेटा अन्य ग्रहों, उपग्रहों और तारों पर जीवन की खोज में इस्तेमाल किया जा सकेगा।
0 Comments