27 जुलाई।
करीब 30 साल बाद, कुल्लू घाटी के खलाड़ा व भालठा में यह उत्सव बड़े उत्साह से मनाया जा रहा है। दो दिन तक प्राचीन रिवाजों का पालन किया जाएगा। गुरुवार को खलाड़ा में काहिका उत्सव के शुभारंभ पर 60 फीट लंबी वाद्ययंत्रों की थाप लगाई गई। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में आज भी काहिका उत्सव में दैवीय खेल होते हैं। घाटी के खलाड़ा व भालठा में लगभग 30 साल बाद यह उत्सव भव्य रूप से मनाया जा रहा है। दो दिन तक प्राचीन रिवाजों का पालन किया जाएगा। गुरुवार को खलाड़ा में काहिका उत्सव के उद्घाटन पर 60 फीट लंबी ध्वजा वाद्ययंत्रों की थाप पर स्थापित की गई।
उधर, जिला मुख्यालय से छह किलोमीटर दूर भालठा में तीसरी बार काहिका उत्सव मनाया जा रहा है। काहिका उत्सव में भालठी नारायण देवता की शक्तियां दिखाई देंगी। देवता भालठी नारायण अपनी शक्तियों से मूर्छित नड़ को सचेत करेंगे। वहीं माता नैना का जाग उत्सव मनाया गया। जहां लोग जलते अंगारों पर नाचते थे काहिका उत्सव में बहुत सारे स्थानीय लोग शामिल हुए हैं।
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