भारत के 11वें राष्ट्रपति की पुण्यतिथि पर पढ़िए उनके बारे में कुछ अनसुने किस्से ।

भारत के 11वें राष्ट्रपति और मिसाइलमैन अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम की आज, 27 जुलाई को पुण्यतिथि मनाई जाती हैं।


अपनी सरकार के गिरने से पहले बीजेपी के तानों से तंग आ कर कि वो एक 'कमज़ोर' प्रधानमंत्री है, इंदर कुमार गुजराल ने तय किया कि वो भारतवासियों और दुनिया वालों को बताएंगे कि वो भारतीय सुरक्षा को कितनी ज़्यादा तरजीह देते हैं.

उन्होंने 'मिसाइल मैन' के नाम से मशहूर एपीजे अब्दुल कलाम को भारत रत्न से सम्मानित करने का फ़ैसला लिया. इससे पहले 1952 में सी वी रमण के छोड़कर किसी वैज्ञानिक को इस पुरस्कार के लायक नहीं समझा गया था.


1 मार्च , 1998 को राष्ट्पति भवन में भारत रत्न के पुरस्कार वितरण समारोह में कलाम नर्वस थे और अपनी नीली धारी की टाई को बार बार छू कर देख रहे थे.

कलाम को इस तरह के औपचारिक मौकों से चिढ़ थी जहाँ उन्हें उस तरह के कपड़े पहनने पड़ते थे जिसमें वो अपनेआप को कभी सहज नहीं पाते थे. सूट पहनना उन्हें कभी रास नहीं आया. यहाँ तक कि वो चमड़े के जूतों की जगह हमेशा स्पोर्ट्स शू पहनना ही पसंद करते थे.


भारत रत्न का सम्मान गृहण करने के बाद उन्हें सबसे पहले बधाई देने वालों में से एक थे अटलबिहारी वाजपेई.




एपीजे अब्दुल कलाम की कई सारी विशेषताएं 

एपीजे अब्दुल कलाम, प्रसिद्ध वैज्ञानिक और भारत के पूर्व राष्ट्रपति, अपने असाधारण चरित्र के लिए व्यापक रूप से प्रशंसित थे। कलाम के पास भारत की वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति के लिए एक उल्लेखनीय दृष्टि थी, जिसने देश को अपने सपनों और विचारों से प्रेरित किया।


वाजपेई की कलाम से पहली मुलाकात अगस्त, 1980 में हुई थी जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने उन्हें और प्रोफ़ेसर सतीश धवन को एसएलवी 3 के सफलतापूर्ण प्रक्षेपण के बाद प्रमुख साँसदों से मिलने के लिए बुलवाया था.

कलाम को जब इस आमंत्रण की भनक मिली तो वो घबरा गए और धवन से बोले, सर मेरे पास न तो सूट है और न ही जूते. मेरे पास ले दे के मेरी चेर्पू है (चप्पल). तब सतीश धवन ने मुस्कराते हुए उनसे कहा था, 'कलाम तुम पहले से ही सफलता का सूट पहने हुए हो. इसलिए हर हालत में वहाँ पहुंचो.'




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