मणिपुर हिंसा में ‘विदेशी ताक़तों के दख़ल’ का दावा।



1 अगस्त। 

Manipur violence claims 'interference of foreign powers'

 पिछले तीन महीने से मणिपुर में हिंसा का दौर जारी है, जिसमें अब तक 160 लोगों की मौत हो चुकी है। 50 हजार से अधिक लोग स्थानांतरित हो गए हैं। लोगों के घरों को आग लगा दी गई। 

महिलाओं पर यौन हिंसा के मामले सामने आए हैं। पांच हजार से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं, लेकिन हिंसा की खबरें थमने का नाम नहीं ले रही सरकार से विपक्ष सवाल पूछ रहा है और केंद्र सरकार के खिलाफ संसद में अविश्वास प्रस्ताव भी लाया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मणिपुर में दो समुदायों के बीच चल रही "खूनी जंग" पर कुछ भी नहीं कहा है. हालांकि, उन्होंने पिछले दिनों राज्य में कुकी महिलाओं के साथ हुई यौन हिंसा के एक वायरल वीडियो पर भाषण दिया था, लेकिन उनका भाषण सिर्फ घटना पर था।

सेना के पूर्व प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने कहा, "मणिपुर में जो हो रहा है उसमें विदेशी एजेंसियों की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता, सीमावर्ती राज्यों में अस्थिरता देश की समग्र राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अच्छा नहीं है।'' साथ ही उन्होंने कहा कि "कई सालों से अलग-अलग विद्रोही समूहों को मिल रही कथित चीनी मदद जारी है।"

मैं निश्चित रूप से मानता हूँ कि जो लोग सत्ता में हैं और जो भी कार्रवाई करनी चाहिए, उसे करने के लिए ज़िम्मेदार हैं, वे अपना काम बहुत अच्छे से कर रहे हैं। घटनास्थल पर मौजूद लोगों को अधिक जानकारी होगी और वे जानेंगे कि क्या किया जाना चाहिए। लेकिन मैं इस बात को स्पष्ट करना चाहता हूँ कि अस्थिरता हमारी आंतरिक सुरक्षा के लिए अच्छा नहीं है।” जनरल नरवणे ने मणिपुर में जारी हिंसा पर इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में एक चर्चा में कहा।

यदि मणिपुर हिंसा में विदेशी ताक़तों का हाथ है, खासकर चीन, जो इन विद्रोही संगठनों को मदद दे रहा है, तो हमें इसे गंभीरता से लेना चाहिए और इसे अनदेखा नहीं करना चाहिए।’’
दरअसल, मई से मणिपुर में हिंसा शुरू हुई थी। इसके बाद इस पूर्वोत्तर भारत के राज्य में कुकी और मैतेई समुदायों के बीच द्वेष इतना बढ़ा कि आज राज्य में दो अलग-अलग धड़े हैं। मणिपुर की आबादी का 53% मैतेई है, जो अधिकांश इंफाल घाटी क्षेत्र में रहते हैं। वहीं चौथाई आबादी नागा और कुकी पहाड़ी इलाकों में रहती है।

यहां से एक वीडियो सामने आने के बाद मणिपुर राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मीडिया में चर्चा का विषय बन गया।

19 जुलाई को मणिपुर की दो महिलाओं को यौन उत्पीड़न करने का एक दर्दनाक वीडियो वायरल हुआ। पूरे देश में इस वीडियो पर बहस हुई।

वीडियो ने देश भर में गुस्सा फैलाया और विपक्ष ने मोदी सरकार पर हमला बोला। ये मॉनसून सत्र शुरू होने से पहले हुए थे।

प्रधानमंत्री मोदी से प्रतिपक्ष लगातार उत्तर चाहता था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 जुलाई को संसद के मॉनसून सत्र से पहले मीडिया से बात करते हुए कहा कि वे मणिपुर की घटना से दुखी हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश बेइज्जत हो रहा है और दोषियों को बख़्शा नहीं जाएगा।प्रधानमंत्री मोदी ने मणिपुर में जारी हिंसा पर पहली बार बोली।

जिन महिलाओं ने वायरल वीडियो में यौन हिंसा झेली है, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई जारी है। हिंसा का शिकार हुई महिलाओं की रक्षा कर रहे हैं वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल। वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सरकार का पक्ष ले रहे हैं।
मीडियो रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार म्यांमार से आने वाले प्रत्येक व्यक्ति का बायोमैट्रिक डेटा लेगी ताकि अप्रवासी लोगों का रिकॉर्ड रखा जा सके।

किंतु मणिपुर हिंसा के संबंध में बार-बार चीन की चर्चा क्यों की जाती है? बीबीसी से बात करते हुए मेजर जनरल (रिटायर्ड) डॉक्टर एसबी अस्थाना ने कहा, "मणिपुर के हालात के लिए विदेशी ताक़तों की बात को दरकिनार नहीं किया जा सकता। इस दावे को भुलाया नहीं जा सकता।’’

वह आगे बताते हैं, ‘’आजकल लड़ाई का एक नया कॉन्सेप्ट शुरू हो गया। ये किसी भी तरीके से हो सकता है जिससे आप समाज में तनाव पैदा करते हैं। जैसे नकली वीडियो बनाकर या भेजकर। भारत एक युवा देश है जिसमें बहुत से दुश्मन हैं। चीन, उदाहरण के लिए, भारत को आगे बढ़ने से रोकने के लिए हर संभव उपाय करता है।”

“प्रॉक्सी युद्ध और सोशल अनरेस्ट, यानी समाज में तनाव पैदा करना, ये दो लड़ाई के नए हथियार हैं। कोई भी देश इनका इस्तेमाल हमारे खिलाफ कर सकता है, और मणिपुर के मामले में इससे इनकार नहीं किया जा सकता।’’

ये पहली बार नहीं है कि मणिपुर हिंसा के बारे में चीन या किसी दूसरी ताकत का नाम लिया गया है. हालांकि, यह भी समझना महत्वपूर्ण है कि ऐसे दावे जब भी किए जा रहे हैं, तो कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं।
विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' के 21 सांसदों ने पिछले रविवार को मणिपुर के दो दिवसीय दौरे से वापस आते हुए हमलावर दिखाई दिए। उनका आरोप था कि मणिपुर में जातीय हिंसा को नियंत्रित करने में सरकार असफल रही है।

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, "अगर मणिपुर संकट जल्द नहीं सुलझा लिया जाता है, तो यह देश के लिए सुरक्षा समस्याएं पैदा कर सकता है।"''

“चीनी सैनिक सीमावर्ती राज्य में फैली अशांति का ग़लत फ़ायदा उठा सकता है,” उन्होंने कहा। मणिपुर दो भागों में विभाजित है। सरकार स्थिति की गम्भीरता को नहीं समझ रही है। चीन से सिर्फ 75 किलोमीटर की सीमा पर बाड़ लगाई गई है, जबकि म्यांमार थोड़ा पीछे है। ये एक चिंताजनक परिस्थिति है।''

मणिपुर हिंसा में 'विदेशी ताक़तों' का हाथ होने की बात करने वाले नरवणे अकेले नहीं हैं। जुलाई की शुरुआत में मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि हिंसा में 'विदेशी ताक़तों' का हाथ हो सकता है।

समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा, "प्रदेश में हुए जातीय झड़पों में बाहरी तत्वों का हाथ हो सकता है और यह 'पूर्व नियोजित' लगता है।"''

सीनियर फेलो सुशांत सिंह, सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च, कहते हैं, "जब मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह विदेशी ताक़तों की बात करते हैं तो वह म्यांमार की ओर इशारा कर रहे हैं। उनका इशारा म्यांमार की चिन जनता की ओर है। ये लोग कुकी जाति से हैं। लेकिन ये एक तरह से कुकी लोगों को बदनाम करने की कोशिश है, उन्हें विलेन की तरह दिखाने की कोशिश है। उन्हें नहीं लगता कि चीन, बांग्लादेश या किसी अन्य सरकार यहां मदद कर रही है। क्या वे कुकी लोगों पर प्रश्न उठाते हैं?''



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