17 अगस्त।
In Himachal Pradesh, building construction will be done only after land investigation, action will be taken on illegal construction.
हिमाचल प्रदेश में अब जमीन की जांच के बाद ही भवनों का निर्माण कार्य हो सकेगा। भवन निर्माण के लिए इंजीनियर की रिपोर्ट भी अनिवार्य की गई है। प्रदेश में आपदा ने तबाही मचा रखी है। इससे सबक लेते हुए सरकार भवन निर्माण के नियमों को सख्त करने जा रही है। हिमाचल में प्राकृतिक आपदा से अब तक 1,442 कच्चे पक्के मकान ढह गए हैं, जबकि 8,160 मकान क्षतिग्रस्त हो गए हैं।
मंगलवार को मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने अधिकारियों से आपदा पर चर्चा की है। इसमें पानी की निकासी और जमीन की जांच का व्यापक विश्लेषण किया गया था। प्रदेश में अवैध निर्माण पर रोक नहीं लगी है। बिना नक्शे के लोग घर बना रहे हैं। जिन लोगों को पूर्व में चार मंजिला इमारत के नक्शे पास हैं, उन्होंने पांच से छह मंजिलों का निर्माण किया है। भवन मालिकों ने पानी को गलत तरीके से निकाला है। जमीन में यह पानी गिर रहा है।
इससे घर के नीचे जमीन दलदल हो जाती है। इससे आसपास के घरों को खतरा होता जा रहा है। हिमाचल प्रदेश में जो घर गिरे हैं यही कारण है कि वे मना जाते हैं। यही कारण है कि राज्य सरकार निर्माण कार्यों को अधिक कठोर करने जा रही है। प्रधान सचिव टीसीपी देवेश कुमार ने कहा कि बिना नक्शे के चल रहे निर्माण कार्यों पर कार्रवाई की गई है।
हिमाचल में आपदा ने तबाही मचा कर रख दी है। दर्जनों लोगों की जान चली गई है। भूस्खलन के चलते लोग मलबे में दब रहे हैं। एनजीटी ने शिमला प्लानिंग एरिया में ढाई मंजिल से अधिक भवन निर्माण पर रोक लगाई है। त्रासदी के बाद लोगों को इसकी याद आ रही है।
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