ऊना। जिले में भारी बरसात के बाद सोमभद्रा नदी की चपेट में आने से बर्बाद हुई आलू की फसल के दूरगामी परिणाम देखने को मिलेंगे। क्षेत्र की करीब 40 प्रतिशत फसल को नदी का पानी बहाकर ले गया। दो माह में तैयार होने वाली फसल की पैदावार कम होने से इस बार मंडियों में आलू की आमद बेहद कम होने वाला है। इससे आलू की मांग तो बढ़ जाएगी और दामों में भी बढ़ोतरी होगी, लेकिन किसानों को बारिश की मार से जितना नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई अच्छे दाम मिलने पर भी संभव नहीं है।
जानकारी के अनुसार इस बार मंडियों में बीते सालों के मुकाबले 50 प्रतिशत आलू की आमद कम रहेगी। ऊना के बड़े किसान आलू की आधी फसल सोमभद्रा नदी के किनारों पर तैयार करते हैं। पहली बार ऐसा हुआ कि सितंबर में सोमभद्रा नदी इतने उफान पर आ गई कि किनारों पर चार से पांच फीट की ऊंचाई पर बने खेतों में पानी तीव्र गति के साथ घुस गया। इससे खेतों में लगी आलू की फसल तो बही, इसके साथ ही खेतों में पड़े कई उपकरण, ट्यूबवेल, इंजन और विद्युत मोटरें भी पानी का ग्रास बन गई है। उधर, पड़ोसी राज्य पंजाब में भी आलू की फसल पहले के मुकाबले कम तैयार की गई है। कारण यही है कि वहां भी बाढ़ का पानी खेतों में घुसने से काफी जमीन खराब हो चुकी है। यही स्थिति अब ऊना की हो चुकी है। ऐसे में मंडियों में इस बार आलू की नई फसल को लेकर काफी उथल-पुथल का माहौल रहने वाला है।
कृषि लायक नहीं बचे खेत
किसान देसराज, मदन लाल, विनोद कुमार ने बताया कि नुकसान तो काफी हो चुकी है। खेत कृषि लायक नहीं बची है, लेकिन भविष्य को लेकर भी दुविधा है कि खेत दोबारा तैयार करें या नहीं। क्योंकि इसमें काफी खर्च आएगा और नदी का पानी कब दोबारा खेतों तक आ जाए, कोई कह नहीं सकता।
ऊना आलू का एक बड़ा उत्पादक जिला है। सोमभद्रा नदी के आसपास किसान लंबे समय से आलू की खेती करते आए हैं। इस वर्ष बिजली के कुछ दिन बाद ही किसानों को फसल से हाथ धोना पड़ा है। निश्चित तौर पर इससे मंडियों में नए आलू की आमद कम होगी। जबकि ऊना से नए आलू की खेप सबसे पहले मंडियों में पहुंचती है।
-कुलभूषण धीमान, उपनिदेशक, जिला कृषि विभाग
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