अनंतनाग मुठभेड़: कोकरनाग में फिर गोलाबारी, पैरा कमांडो भी मैदान में, उजैर खान समेत दो आतंकी निशाने पर

अनंतनाग के कोकरनाग में गुरुवार को दूसरे दिन एक बार फिर सुरक्षाबलों ने ऑपरेशन शुरू किया है। बुधवार को यहां मुठभेड़ के दौरान सेना के एक कर्नल सहित तीन सुरक्षा बल के अधिकारी शहीद हो गए।
दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के कोकरनाग में गुरुवार को दूसरे दिन एक बार फिर सुरक्षाबलों ने ऑपरेशन शुरू किया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इलाके में छिपे आतंकियों के खात्मे के लिए पैरा कमांडो भी मैदान में उतारे गए हैं। जम्मू कश्मीर पुलिस ने बताया कि इलाके में उजैर खान समेत दो आतंकियों को घेरा गया है। दोनों आतंकी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े हुए बताए गए हैं। बताया जा रहा है कि घटनास्थल पर गोलीबारी शुरू हो गई है। बुधवार को यहां मुठभेड़ के दौरान सेना के एक कर्नल सहित तीन सुरक्षा बल के अधिकारी शहीद हो गए। कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष, जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीएसपी हुमायूं भट गोलीबारी में गंभीर रूप से घायल हो गए, जिसके बाद तीनों ने वीरगति को प्राप्त किया।

कौन है आतंकी उजैर खान
बताया जा रहा है कि उजैर खान स्थानीय आतंकवादी है, जो कोकेरनाग के नागम गांव का रहने वाला है। वह जून 2022 में आतंकवाद संगठन में शामिल हो गया था। वह आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा हुआ है।

J&K: कुलगाम के आतंकियों के ग्रुप के ही कोकरनाग में होने का शक, इनमें पाकिस्तानी भी, सवा माह में छह बलिदान

कुलगाम के आतंकियों के ग्रुप के ही कोकरनाग में होने का शक है। इनमें पाकिस्तानी भी शामिल हैं। सवा महीने के भीतर दक्षिण कश्मीर में दो अलग-अलग घटनाओं में छह जवान बलिदान हुए हैं। कुलगाम और कोकरनाग की घटना में काफी समानता है। कुलगाम से भागने के बाद कोकरनाग में ठिकाना बनाने की आशंका है।

दक्षिण कश्मीर के कुलगाम में एक महीने पहले पांच अगस्त को हुई मुठभेड़ में शामिल आतंकियों के ग्रुप के ही कोकरनाग में भी शामिल होने का शक है। इस ग्रुप में पाकिस्तानी आतंकी भी बताए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि इसी ग्रुप ने कुलगाम से निकलने के बाद कोकरनाग में ठिकाना बना रखा था। 
पांच अगस्त की मुठभेड़ में भी तीन सैन्य जवान बलिदान हुए थे। ऐसी आशंका है कि यह ग्रुप राजोरी-पुंछ के इलाके से दक्षिण कश्मीर पहुंचा है। सवा महीने के भीतर दक्षिण कश्मीर में दो अलग अलग ऑपरेशन में छह जवान बलिदान हुए हैं।
सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े सूत्रों ने बताया कि कुलगाम तथा कोकरनाग की घटनाओं में काफी समानता है। कुलगाम की घटना में भी तीन से चार आतंकी बताए गए थे और कोकरनाग की घटना में भी इतने ही आतंकी बताए जा रहे हैं। दोनों ही घटनाओं में आतंकियों ने सुरक्षा बलों पर सबसे पहले जोरदार फायरिंग की। दोनों ही घटनाओं में प्रारंभिक फायरिंग में जवान घायल हुए।
सूत्रों ने बताया कि कुलगाम के हलान इलाके में ड्रोन तथा हेलिकॉप्टर से तलाशी अभियान चलाए जाने के बीच आतंकी मौके से भाग निकले थे। कई दिनों तक तलाशी अभियान के बाद भी उनका पता नहीं लगा था। माना जा रहा है कि कुलगाम से भागकर आतंकी कोकरनाग के इलाके में चले आए। 

यहीं उन्होंने ठिकाना बना रखा। सूचना मिलने पर सुरक्षा बलों ने घेराबंदी कर बुधवार सुबह ठिकाने तक पहुंचने की कोशिश की, उसी दौरान उन्होंने भारी फायरिंग शुरू कर दी। इस कोशिश में जो लोग भी लीड कर रहे थे वह आतंकियों की फायरिंग की चपेट में आ गए। 
इनमें कुछ और जवानों के घायल होने का शक जताया जा रहा है। हालांकि, पुलिस और सैन्य अफसरों का कहना है कि पहले तो ऑपरेशन में आतंकियों को मार गिराना प्राथमिकता है। इसी दिशा में घेराबंदी सख्त रखा गया है ताकि आतंकी अंधेरे का फायदा उठाकर भाग न निकले।
प्रमुख घटनाएं
चार अगस्त 2023: कुलगाम के हलान इलाके में मुठभेड़ में तीन जवान बलिदान। आतंकी चार राइफल भी लूट ले गए थे।
13 सितंबर 2023: दक्षिण कश्मीर के कोकरनाग में मुठभेड़ में दो सैन्य अफसरों समेत तीन हुए बलिदान
पांच मई 2023: पुंछ में मुठभेड़ के दौरान धमाके में पांच जवान बलिदान।
मई 2020: हंदवाड़ा में मुठभेड़ के दौरान लेफ्टिनेंट कर्नल आशुतोष शर्मा समेत पांच जवान हुए थे बलिदान।
कर्नल मनप्रीत युवाओं में थे काफी लोकप्रिय
कर्नल मनप्रीत सिंह दक्षिण कश्मीर के अपने क्षेत्राधिकार वाले इलाके में युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय थे। वह आम लोगों के साथ राफ्ता रखने के साथ ही युवाओं व महिलाओं को खेल से जोड़कर उनकी प्रतिभा को विकसित करने में लगे रहते थे। इलाके में महिलाओं की क्रिकेट प्रतियोगिताएं भी कराते थे।
इसके साथ ही युवाओं के लिए क्रिकेट, वालीबॉल, फुटबॉल तथा अन्य इनडोर गेम्स का समय समय पर आयोजन करते रहते थे। उनका मानना था कि यदि युवा सकारात्मक गतिविधियों में शामिल होगा तो उससे नकारात्मक भावनाएं निकलेंगी और वे बेहतर जीवनयापन कर सकते हैं।

अधिकारी ने बुधवार को बताया कि पुलिस और सेना की एक संयुक्त टीम ने अनंतनाग के कोकरनाग के हलूरा गंडूल इलाके में घेराबंदी कर तलाशी अभियान चलाया। जैसे ही संयुक्त टीम संदिग्ध स्थान की ओर बढ़ी तो वहां पहले से छिपे हुए आतंकवादियों ने बलों पर गोलीबारी शुरू कर दी, जिससे मुठभेड़ शुरू हो गई। गोलीबारी के दौरान सेना के एक अधिकारी और एक पुलिस अधिकारी को गोली लग गई। दोनों घायलों को तुरंत इलाज के लिए नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।

हुमायूं भट: भर आई हर आंखें... DSP को राजकीय सम्मान के साथ दी आखिरी विदाई, उपराज्यपाल ने भी दी श्रद्धांजलि

दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले में कोकरनाग में आतंकवादियों के साथ लोहा लेते हुए जम्मू कश्मीर के बलिदानी डीएसपी हुमायूं भट को नम आंखों से सुपुर्द-ए-खाक किया गया। हुमायूं भट को बडगाम में सुपुर्द-ए-खाक किया गया। डीएसपी हुमायूं के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। इससे पहले बुधवार शाम श्रीनगर के जिला पुलिस लाइन में पूरे सम्मान के साथ आखिरी विदाई दी गई
इस दुखद अवसर पर जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा भी मौजूद रहे। उन्होंने भी डीएसपी हुमायूं के पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर उनके प्रति सम्मान प्रकट किया। इस दौरान पूर्व आईजीपी गुलाम हसन भट ने भी अपने बलिदानी बेटे डीएसपी हुमायूं भट के पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर उसे श्रद्धांजलि अर्पित की। 
एक पिता होने के नाते भले ही गुलाम हसन भट अंदर से टूट चुके हों लेकिन एक पुलिस अफसर के तौर पर श्रद्धांजलि देते समय वो काफी शांत और दृढ़ दिखे। इस मंजर ने सबको झकझोर कर रख दिया जब एक पिता ने अपने बेटे के पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित की। परिवार की महिलाओं ने रोते बिलखते हुए अपने जवान बेटे के आखिरी बार दीदार किए।
इसके बाद वहां से पार्थिव शरीर को श्रीनगर के बाहरी क्षेत्र हुमहामा की फ्रेंड्स कॉलोनी स्थित आवास पर ले जाया गया जहां उनके पार्थिव शरीर पहुंचने पर चीख पुकार मच गई। डीजीपी दिलबाग सिंह, एडीजीपी विजय कुमार भी बलिदानी डीएसपी के घर पहुंचे।
जानकारी के अनुसार, डीएसपी हुमायूं भट का परिवार दक्षिणी कश्मीर के पुलवामा जिले के त्राल का रहना वाला है। वे काफी समय से यहीं रह रहे हैं। पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि करीब एक साल पहले शहीद डीएसपी हुमायूं भट की शादी हुई थी और उनका 29 दिन का एक बच्चा भी है। वह 2019 बैच के अधिकारी थे।

राजोरी मुठभेड़: शहीद रवि की दिसंबर में थी शादी, घर में चल रही थीं तैयारियां, अब हर आंख नम; पंचतत्व में विलीन
राजोरी मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने दो आतंकियों को मार गिराया। इस एनकाउंटर के दौरान सेना के जवान रवि कुमार ने शहादत को प्राप्त किया। वह किश्तवाड़ जिले के रहने वाले थे। बुधवार को खराब मौसम के चलते उनका पार्थिव शरीर उनके गांव नहीं पहुंच पाया। ऐसे में आज उनका पार्थिव शरीर उनके गांव पहुंचेगा और उन्हें सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी जाएगी।
सेना के ब्रिगेडियर, जिला उपायुक्त देवांश यादव, एसएसपी किश्तवाड़ खलील पोसवाल व अन्य कई अधिकारी उनकी अंतिम विदाई में शामिल हुए। कालीगढ़ से वाहनों के जरिये शमशान घाट हस्ती तक उनके पार्थिव शरीर को ले जाया गया। इस दौरान वाहन को फूल मालाओं के साथ सजाया गया था। शहीद की अंतिम यात्रा में हजारों लोग शामिल हुए। इस दौरान हर आंख में गुस्सा और गम देखा गया। लोगों ने भारत मात की जय, शहीद रवि अमर रहे, आतंकवाद मुर्दाबाद के नारे लगाए।राजोरी जिले के नारला क्षेत्र में दो आतंकी मारे गए। पहला आतंकी मंगलवार शाम और दूसरा आतंकी बुधवार को मार गिराया गया। दोनों आतंकियों से बड़ी मात्रा में गोला बारूद, दो एके राइफल, खाने-पीने का सामान और अन्य युद्धक सामग्री बरामद हुई है। मुठभेड़ में सेना में राइफलमैन रवि कुमार भी बलिदान हुआ। जबकि सेना की मादा लैब्राडोर केंट ने भी सर्वोच्च बलिदान दिया। बलिदानी राइफल मैन रवि कुमार को स्थानीय सैन्य मुख्यालय में बुधवार को श्रद्धांजलि दी गई। वह किश्तवाड़ के रहने वाले थे। इसके साथ ही मादा लैब्राडोर केंट को भी श्रद्धांजलि दी गई।
रवि की दिसंबर में थी शादी

राजोरी में मंगलवार को आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद किश्तवाड़ के राइफलमैन रवि कुमार की दिसंबर में शादी थी। घर में तैयारियां चल रही थीं। शहादत की खबर से अब हर आंख नम है। वहीं, बुधवार को शहीद का अंतिम संस्कार नहीं हो पाया। मौसम खराब होने से हेलिकॉप्टर सेवा नहीं मिली। 

इस कारण पार्थिव शरीर गांव नहीं पहुंच पाया। इसके बाद सेना सड़क मार्ग से रवाना हुई। वीरवार को सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी जाएगी। किश्तवाड़ की पंचायत त्रिगाम के गांव वसनोति कालीगढ़ निवासी रवि कुमार सेना की 63 आरआर में तैनात थे। 

22 फरवरी 1997 को जन्मे रवि कुमार 2016 में सेना में भर्ती हुए थे। पिता सुभाष चंद्र ने बताया कि रवि छुट्टी काटकर 28 अगस्त को राजोरी ड्यूटी पर लौटा था। 29 अगस्त को ज्वॉनिंग डाली थी। किसे पता था कि बेटा आखिरी बार छुट्टी पर आया था।
अब तिरंगे में लिपटा घर आएगा। नम आंखों से कहा कि बेटे के विवाह की तैयारी कर रहे थे। अब अंतिम विदाई की कर रहे हैं। कहा कि रवि बचपन से ही होनहार था। अकसर सेना में भर्ती होकर देश सेवा की बात करता था। उसके जाने का दुख है, लेकिन गर्व भी हो रहा है कि बेटा देश के काम आया है। शहीद के दोस्तों का कहना था कि रवि ईमानदार और सूझबूझ वाला इंसान था।
तीन और चार दिसंबर को थी शादी

पिता सुभाष चंद्र ने बताया कि रवि कुमार का विवाह तीन और चार दिसंबर को था। सरथल इलाके के गांव में रिश्ता तय हुआ था। घर में विवाह की तैयारियां चल रही थीं। लेकिन, कुदरत को कुछ और ही मंजूर था। पूरे इलाके में मातम है।
11 बजे से ही लोग पहुंच गए थे हेलिपैड पर

बुधवार को शहीद के पार्थिव शरीर के गांव पहुंचने की खबर पर सुबह 11 बजे से ही लोग हेलिपैड पर पहुंच गए थे। बाद में खबर मिली कि बारिश के चलते पार्थिव शरीर सड़क मार्ग से लाया जाया गया। वीरवार को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।

Post a Comment

0 Comments

Close Menu