मणिमहेश यात्रा शनिवार सुबह दोबारा से प्रशासन ने सुचारू करवा दी है। शुक्रवार शाम को बारिश और खराब मौसम को देखते हुए प्रशासन ने यात्रा पर अस्थायी रोक लगाई थी। इसके चलते हड़सर से आगे श्रद्धालुओं की आवाजाही पर भी रोक लगा दी गई थी। श्रद्धालुओं को सुरक्षित स्थानों पर रुके रहने के निर्देश प्रशासन ने दिए थे। शनिवार सुबह जैसे ही बारिश थमी तो प्रशासन ने फिर से यात्रा को सुचारू करवा दिया। शुक्रवार रात को भरमौर में काफी संख्या में श्रद्धालु खराब मौसम के कारण रुके हुए थे। जैसे ही शनिवार को मौसम साफ हुआ, श्रद्धालु हड़सर की तरफ रवाना हुए। अतिरिक्त उपायुक्त भरमौर नवीन तनवर ने बताया कि मणिमहेश यात्रा पर अस्थायी रोक हटाई जा चुकी है। श्रद्धालु मणिमहेश के लिए यात्रा पर जा सकते हैं। खराब मौसम को देखते हुए श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए यह रोक लगाई गई थी।
राधाष्टमी के शाही स्नान के लिए दशनाम की पवित्र छड़ी शनिवार को चंबा से रवाना हुई। इस पवित्र छड़ी यात्रा की अगुवाई दशनाम अखाड़ा के महंत यतिंद्र गिरि कर रहे हैं। छड़ी यात्रा में देश के विभिन्न अखाड़ों से साधु-संत शामिल हैं।
बीपी और हार्ट के मरीज मणिमहेश यात्रा पर न जाएं। क्योंकि ऑक्सीजन की कमी और कड़ाके की ठंड में ऐसे लोगों के लिए यात्रा हानिकारक साबित हो सकती है। इसलिए यात्रा पर जाने से पहले यात्री अपने स्वास्थ्य की जांच अवश्य करवाएं। यह बात अतिरिक्त उपायुक्त भरमौर नवीन तनवर ने प्रेसवार्ता में दी। उन्होंने कहा कि हर वर्ष मणिमहेश यात्रा अगस्त माह में ही संपन्न हो जाती थी। लेकिन इस बार सितंबर माह के अंत में यह यात्रा सुचारू रहेगी। ऐसे में डलझील सहित अन्य पड़ावों पर ठंड काफी हो रही है। मणिमहेश जाने वाले श्रद्धालुओं को गर्म कपड़े अवश्य लेकर जाने चाहिए। क्योंकि ठंड से बचने के लिए गर्म कपडों का होना काफी जरूरी है। चढ़ाई चढ़ते समय यदि पसीना अधिक पड़े तो अचानक कपड़े न उतारें। उन्होंने कहा कि रात के समय यात्रा करना खतरनाक साबित हो सकता है। इसलिए दिन के समय ही यात्रा करें ताकि साफ मौसम में चारों तरफ देखकर यात्रा की जा सके।
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