हिमाचल के ऊंचे क्षेत्रों में उगाएं गेहूं की सप्तधरा किस्म, चारे के लिए राई घास की करें बिजाई

निचले सिंचित क्षेत्र में एचपीडब्ल्यू 155; बीएल-907, एचएस-507, एचएस-562 वैरायटी लाभदायक प्रदेश के निचले सिंचित क्षेत्र में गेहूं की एचपी डब्ल्यू 155, बीएल-907, एचएस-507, एचएस-562, एचपीडब्ल्यू-349, एचपी डब्ल्यू 249, एचपी 368, एचपी यू-236, उन्नत पीवीडब्ल्यू 550, एचडी 2380 एचडी 2967 व ऊंचे क्षेत्रों में सप्तधरा किस्मों की बुआई करें। गेहंू के अतिरिक्त जौ की बीएचएस 400, एचबीएल 276 (नंगा जौ) व चारे के लिए राई घास की बीजाई भी की जा सकती है। गेहंू, जौ, अलसी, जई व राई घास की अगेती बीजाई में सिचाई करें व अगेती फसल में नत्रजन की शेष मात्रा खेत में डालें। प्रदेश कृषि विवि के वैज्ञानिकों के अनुसार जहां गेहूं की अगेती बिजाई की गई है और खरपतवार के पौधों में 2-3 पत्तियां आ गई हों, तो खरपतवारों को नष्ट करने के लिए वेस्टा 16 ग्राम प्रति 30 लीटर पानी प्रति कनाल मे घोल बनाकर छिडक़ाव करें। छिडक़ाव पंप से करें और छिडक़ाव के लिए फ्लैट फैन नोजल का इस्तेमाल करें। छिडक़ाव से दो-तीन दिन पहले हल्की सिंचाई दें।

 खरपतवारनाशी के छिडक़ाव से पूर्व खेत में पर्याप्त नमी होनी चाहिए, अन्यथा खरपतवारनाशी का असर नहीं होता है। प्रदेश के निचले एवं मध्यवर्ती पहाडी क्षेत्रों में प्याज की सुधरी प्रजातियों जैसे पटना रैड, नासिक रैड, पालम लोहिया, पूसा रैड, एएफडीआर तथा एएफ.एलआर इत्यादि की पनीरी दें। इन्हीं क्षेत्रों में लहसुन की सुधरी प्रजाति जीएचसी-1 या एग्रीफाउंड पार्वती की बिजाई पंक्तियों में 20 सेंटीमीटर व पौधे में 10 सेटीमीटर की दूरी रखते हुए करें। बिजाई से पहले 200-250 क्विंटल गोबर की गली सड़ी खाद के अतिरिक्त 235 कि.ग्रा इफ्को मिश्रण 12.32.16 खाद तथा 37 कि.ग्रा म्यूरेट ऑफ पोटाश प्रति हेक्टेयर खेतों में डालें। निचले एवं मध्य पर्वतीय क्षेत्रों में मटर की सुधरी प्रजातियों जैसे पालम समूल, पंजाब-89, पालम प्रिया, आजाद पी-1, आजाद पी.-3 एवं जीएस-10 की बिजाई 45 से 20 सेंटीमीटर कतारों तथा 10 से 15 सेंटीमीटर पौधे से पौधे की दूरी पर करें। इन्ही क्षेत्रों में मूली, गाजर व शलजम इत्यादि में पौधे की छटाई करें। फूलगोभी, बंदगोभी, ब्रोकली, चाइनीज सरसों इत्यादि की रोपाई 45-60 सेंटीमीटर पंक्ति से पंक्ति तथा 30-45 सेंटीमीटर पौधे से पौधे की दूरी पर करें। गाठगोभी, पालक, लेट्यूस, मेथी, धनियां व क्यूं वोकला आदि को भी लगाने व बोने का उचित समय है। रोपाई से पूर्व 200 से 250 क्विटल गोबर की गली सड़ी खाद के अतिरिक्त 185 किग्रा इफ्को मिश्रण 12.32.16 खाद तथा 30-10 किग्रा म्यूरेट ऑफ पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से खेतों में डालें। 



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