किसान मजदूर नेताओं ने कहा कि केंद्र की सरकार लगातार मनरेगा के बजट को कम कर रही है। मोदी की सरकार ने मनरेगा के बजट में लगभग 33% की कटौती की है। वर्ष 2023- 2024 के लिए मनरेगा बजट घटाकर 60,000 करोड़ रूपये पर ले आया है। दूसरी ओर सरकार हाजरी की प्रक्रिया को ऑनलाईन व्यवस्था करके उसे और जटिल करके मनरेगा को बंद करने का कार्य कर रही है, क्योंकि ग्रामीण भारत में इन्टरनैट की गम्भीर समस्या है। आज भी मनरेगा मजदूर मनरेगा में रोजगार से वंचित है, मजदूरों को साल में औसतन 30 दिनों का काम ही मिल रहा है। किसान मजदूर नेताओं ने कहा कि प्रदेश में अलग अलग सरकारों ने आजतक कोई स्थायी नीति दूध वालों के लिये नही बनाई है जिस कारण दूध उत्पादन घाटे का सौदा बन रहा है। उन्होंने कहा कि आज भी सरकार द्वारा मिल्क फेडरेशन व निजी कंपनियों द्वारा किसानों को 22 रुपये से लेकर 30 रुपये तक दूध का दाम प्रति लीटर लिया जाता है, फीड, दवाई व चोकर के दाम लगातार बढ़ रहे हैं जिससे कि दूध को पैदा करने की लागत दिनप्रतिदिन बढ़ रही है जिससे कि दुग्ध उत्पादकों को अपना परिवार चलाना भी मुश्किल हो गया है।
किसान मजदूर नेताओं ने कहा कि श्रमिक कल्याण बोर्ड में पंजीकरण व अन्य लाभों के ना मिलने पर 1 फरवरी 2024 को रामपुर और दुग्ध उत्पादकों की समस्याओं व मनरेगा में रोजगार ना मिलने को लेकर 16 फरवरी 2024 को किसान मजदूर निरमण्ड में प्रदर्शन करेंगे। बैठक में निर्माण मजदूर यूनियन ब्लॉक अध्यक्ष सन्नी राणा, कोषाध्यक्ष परमिंदर, देवी चंद और दुग्ध उत्पादक संघ ब्लॉक सचिव कश्मीरी लाल, श्याम लाल, सिंदरी देवी, नीरथ राम, भगत राम, किरना, कांशीराम आदि मौजूद रहे।
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