प्रह्लाद प्रसाद, ज़िला रिपोर्टर पश्चिमी वर्धमान,पश्चिम बंगाल।
हिन्दी के प्रचार-प्रसार को समर्पित संस्था किसलय के महासचिव पारो शैवलिनी ने भास्कर को बताया कि मिहिजाम नगर में 2008 में ही महर्षि डाक्टर पारस नाथ बनर्जी की मूर्ति लगाने की घोषणा झारखंड सरकार के कला संस्कृति खेलकूद एवं युवा विभाग द्वारा की गई थी, जो आज 16 साल बाद भी जिला प्रशासन द्वारा नहीं लगाया गया। इस बावत महासचिव ने आज से 12 साल पूर्व मिहिजाम नगर परिषद के अध्यक्ष कमल गुप्ता से बात भी की थी। परन्तु उन्होंने साफ शब्दों में इस बात की कोई जानकारी नहीं होने की बात कही थी। तदोपरांत, 2020 में जामताड़ा स्थित विधायक के कार्यालय जाकर महासचिव शैवलिनी ने उक्त बात की जानकारी विधायक डाक्टर इरफान अंसारी को भी दिया। परन्तु चार साल का समय बीत जाने के बाद भी विधायक ने इस तरफ कोई ध्यान देने की जरूरत महसूस नहीं की।
महासचिव ने सीधे तौर पर मिहिजाम नगर परिषद के अध्यक्ष कमल गुप्ता और जामताड़ा के विधायक अंसारी पर सीधे - सीधे आरोप लगाते हुए कहा कि चूंकि महर्षि पारस बाबू गैर हिंदी भाषी हैं शायद यही कारण है कि ये लोग इस तरफ़ ध्यान देने की जरूरत नहीं समझते। महासचिव ने यह भी कहा कि इस चुनावी माहौल में अगर विधायक मूर्ति की स्थापना मिहिजाम नगर में नहीं करवाते हैं तो मैं किसलय संस्था के बैनर तले मिहिजाम और चित्तरंजन के साहित्यिक व सांस्कृतिक सदस्यों के साथ उनके खिलाफ सड़क पर उतर कर मजबूती से आंदोलन करने पर बाध्य रहूंगा।
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