पश्चिम वर्धमान के चित्तरंजन रेल नगरी में स्थानीय एरिया फोर सामुदायिक भवन के निकट विद्यासागर पार्क में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस को संबोधित करते हुए स्थानीय साहित्यकार व नाटककार विराज गांगुली ने कहा कि मौजूद परिस्थिति में एक और भाषा आंदोलन की आवश्यकता है। विराज ने कहा,आज लोग अपनी मातृभाषा को छोड़कर एक विदेशी भाषा की तरफ अंधी दौड़ लगा रहे हैं, जो उचित नहीं है।
हिंदी को समर्पित संस्था किसलय के महासचिव पारो शैवलिनी ने कहा कि आंदोलन ही जीवन है। आंदोलन रहित जीवन एक अंधकारमय कुंआ के समान है, जिसमें भटकाव के सिवा कुछ भी नहीं है। इस मौके पर निर्मल मुखर्जी, अचिंता सुपाकर, स्वदेश चटर्जी ,कालो सोना दतो, गोपीनाथ हाजरा आदि ने सारगर्भित वक्तव्य रखे। जबकि शुभरा दां, संचिता सिन्हा, बासंती मजुमदार आदि ने कविता पाठ किया।
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