असम सरकार ने असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण कानून, 1930 को खारिज कर दिया। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई राज्य मंत्रिमण्डल की बैठक में यह निर्णय लिया गया। कैबिनेट मंत्री जयंत मल्ल बरुआ ने इसे यूसीसी की समान नागरिक संहिता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि मुस्लिम विवाह और तलाक से जुड़े सभी मामले विशेष विवाह अधिनियम के अधीन होंगे। उन्होंने बताया कि मुस्लिमों के विवाह और तलाक को पंजीकृत करना जिला आयुक्त और जिला रजिस्ट्रार का काम होगा। निरस्त कानून के तहत कार्यरत 94 मुस्लिम रजिस्ट्रारों को भी उनके पदों से हटा दिया जाएगा। उन्हें एकमुश्त दो लाख रुपये का मुआवजा मिलेगा ।उन्होंने बताया कि 1935 के पुराने कानून द्वारा अंग्रेजों ने किशोर विवाह करना आसान बना दिया था। यह कानून अंग्रेजों ने बनाया था। सरकार ने बाल विवाह को रोकने के उद्देश्य से यह कानून निरस्त करने का फैसला लिया है।असम सरकार ने बहुविवाह को रोकने के लिए कानून बनाने की बहुत पहले से तैयारी की थी। इसके लिए राज्य सरकार ने हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जजों से एक खास समिति बनाई थी। समिति ने कहा कि इस्लाम में चार महिलाओं से शादी करना अनिवार्य नहीं है।
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