केंद्र सरकार पर लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कड़ा हमला बोला। उनका दावा था कि देश में 17 करोड़ मुसलमान क्रोधित हैं। सरकार की नीतियों ने मुसलमानों को हाशिए पर डाल दिया है। उनका कहना था कि 17 करोड़ लोगों में अविश्वास पैदा करना खतरनाक है। ओवैसी ने 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के बाद हुई प्राण प्रतिष्ठा के संदर्भ में कहा कि ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री मोदी लोकतांत्रिक देश का प्रधानमंत्री नहीं बन गया है, बल्कि एक पुजारी या सम्राट बन गया है।
हिटलर के दौर में यहूदियों की हालत से तुलना
ओवैसी ने कहा, आज 17 करोड़ मुस्लिमों की हालत वैसी ही है जैसी एक जमाने में हिटलर के दौर में यहूदियों की हालत थी। उन्होंने कहा कि देश का लोकतंत्र खोखला हो चुका है। नागरिकता संशोधन कानून (CAA) का जिक्र करते हुए ओवैसी ने कहा कि इस कानूनो को धर्म से जोड़ना खतरनाक है। उन्होंने कहा कि सरकार सीमांचल की मुस्लिम आबादी को बांग्लादेशी बताती है, जो आपत्तिजनक है। उन्होंने शायराना अंदाज में अहमद फराज का शेर उद्धृत कर हमला करते हुए कहा कि पीएम मोदी के कार्यकाल में मुस्लिम आबादी के मन में अविश्वास पैदा हुआ है।
मसीहाओं को जब भी आवाज दी है, पलट कर आ गए हर बार कातिल
वहां क्या दागखाही क्या गवाही, जहां हों मुंसिफों के यार कातिल
ओवैसी ने संसद के बजट सत्र में केंद्र सरकार से कई तीखे सवाल भी पूछे-
…लगता है पीएम मोदी पुजारी या सम्राट बन चुके हैं।
…प्रधानमंत्री इतिहास रचना चाहते हैं- गांधी-अंबेडकर के देश को हिंदू राष्ट्र बनाने की सोच।
…7 करोड़ मुसलमानों को क्या पैगाम दे रही सरकार?
…1991 के पूजा स्थल अधिकार कानून पर क्यों खामोश है सरकार?
शिक्षा और स्कॉलरशिप के बजट सरकार लगातार कम रही है
ओवैसी लोकसभा में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग ले रहे थे। उन्होंने सरकार से प्री मैट्रिक स्कॉलरशिप और अल्पसंख्यकों की शिक्षा को लेकर चलाई जा रही दूसरी योजनाओं और नीतियों का जिक्र करते हुए कहा कि करोड़ों रुपये का शिक्षा और स्कॉलरशिप के बजट सरकार लगातार कम रही है। इससे साफ है कि पीएम मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार अल्पसंख्यकों को उच्च शिक्षा के अधिकार से वंचित करना चाहती है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीते 10 साल में एक मजहब और विचारधारा को मजबूत करने का प्रयास किया गया है।
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