भारी महंगाई के दौर में मजदूरों की दिहाड़ी में केवल 25 रुपये की बढ़ोतरी करना, मनरेगा मजदूरों को न्यूनतम वेतन न देना, आंगनबाड़ी, मिड डे मील, आशा कर्मियों को ग्रेच्युटी व न्यूनतम वेतन सुविधा लागू न करना, वाटर कैरियर, जल रक्षकों, मल्टी परपज़ वर्करज़, पैरा फिटर, पम्प ऑपरेटरों, चौकीदारों, राजस्व चौकीदारों, पंचायत वेटनरी असिस्टेंट के मासिक वेतन में केवल 300 से 500 रुपये बढ़ोतरी करना व उन्हें सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम वेतन न देना उनके साथ क्रूर मज़ाक है। आउटसोर्स कर्मियों, सिलाई अध्यापकों, एसएमसी अध्यापकों, आईटी टीचर्स व एसपीओ के वेतन में नाम मात्र बढ़ोतरी करना व उनके लिए सरकार द्वारा कोई ठोस नीति न बनाना बेहद चिंताजनक है। औद्योगिक मजदूरों की 40 प्रतिशत वेतन बढ़ोतरी, श्रम कानूनों की पालना, उनके एसओपी व सुरक्षा नियमों पर यह बजट खामोश है। निगमों व बोर्डों की ओपीएस बहाली पर खामोशी खलने वाली है व सरकार की दस गारंटियों की वादा खिलाफी है। यह बजट मजदूरों कर्मचारियों के दुखों का निवारण करने वाला बजट नहीं है।
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