ऊना/अंकुश शर्मा :ऊना जिला में अफीम की खेती किस स्तर पर हो रही है इसके नतीजे अब सामने आने लगे हैं। गगरेट के घनारी, कुटलैहड़ के चुरड़ी के बाद अब हरोली के दुलैहड़ गांव में पुलिस ने अफीम की खेती को नष्ट किया है। पुलिस ने मादक द्रव्य अधिनियम के तहत दुलैहड़ गांव के वार्ड नंबर दो की रेखा देवी पत्नी कुलविंदर सिंह के खेत में खड़े अफीम के फूलों वाले 423 पौधे उखाड़ दिए और महिला के विरुद्ध मामला दर्ज कर लिया। इस कार्रवाई ने एक बार फिर उस बहस को जिंदा कर दिया है कि क्या अफीम की खेती को राज्य में मंजूरी दे देनी चाहिए। यदि ऊना की जलवायु अफीम जैसे औषधीय पौधे की खेती के अनुकूल है तो सरकार इस औषधि के व्यापार पर ध्यान क्यों नहीं दे रही। यह सभी जानते हैं कि अफीम के पौधों से निकलने वाली अफीम और चूरा पोस्त का पूरे भारत वर्ष में खुला सेवन होता है और यह दवा उद्योग में भी इस्तेमाल होती है तो अफीम को सरकार मंजूरी क्यों नहीं दे देती। कई राजनेता और समाज सेवी अफीम की खेती को फायदे का सौदा बताते हैं। उनका मानना है कि इससे मेडिकल नशों से भी मुक्ति मिलेगी और किसान की आय भी बढ़ेगी। हालांकि प्रदेश में इसकी खेती पर प्रतिबंध लगा हुआ है। आए जिन अवैध तरीके से अफीम की खेती की खबरें सरकार को नीति बदलने पर भी विवश कर रही है।
0 Comments