श्रीमद्भागवत कथा : पहले दिन परीक्षित जन्म और सुखदेव का वृत्तांत सुनाया


ऊना/अंकुश शर्मा:जिला ऊना के गांव बदोली में श्रीमद्भागवत कथा साप्ताहिक ज्ञान कथा पहले दिन विशाल शोभायात्रा से शुरू हुई।कथा व्यास स्वामी भागवत शरण जी वृंदावन धाम वालों ने लोगों को शुकदेव आगमन की कथा सुनाई। पहले दिन भागवत कथा का महत्व बताते हुए कहा कि मृत्यु को जानने से मृत्यु का भय मन से मिट जाता है, जिस प्रकार परीक्षित ने भागवत कथा का श्रवण कर अभय को प्राप्त किया, वैसे ही भागवत जीव को अभय बना देती है। स्वामी भागवत शरण जी ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा परमात्मा का अक्षर स्वरूप है। यह परमहंसों की संहिता है, भागवत कथा हृदय को जागृत कर मुक्ति का मार्ग दिखाता है। अधिक मास में इसके श्रवण का महत्व है। भागवत कथा भगवान के प्रति अनुराग उत्पन्न करती है। यह ग्रंथ वेद, उपनिषद का सार रूपी फल है। यह कथा रूपी अमृत देवताओं को भी दुर्लभ है। 
कथा व्यास महाराज ने परीक्षित जन्म आगमन की कथा सविस्तार सुनाई।
उन्होंने बताया कि पांडवों के पुत्र अर्जुन, अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु, अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा, जो राजा विराट की पुत्री थी। वह अभिमन्यु को ब्याही गई थी। युद्ध में गुरु द्रोण के मारे जाने से क्रोधित होकर उनके पुत्र अश्वत्थामा ने क्रोधित होकर पांच पांडवों को मारने के लिए ब्रह्मास्त्र चलाया, लेकिन वे पांडव ना होकर द्रोपदी के पांच पुत्र थे। जानबूझकर चलाए गए इस अस्त्र से उन्होंने उत्तरा को अपना निशाना बनाया। अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा उस समय गर्भवती थी। बाण लगने से उत्तरा का गर्भपात हुआ और गर्भपात होने से परीक्षित का जन्म हुआ।
इस मौके पर गांव बदोली निवासी व बाहर से भी अतिथियों ने भागवत ज्ञान भाग लिया।

Post a Comment

0 Comments

Close Menu