विश्व रंगमंच दिवस पर विशेष,रंगमंच को आज दर्शक नहीं मिलते क्यों?

अखण्ड भारत दर्पण (ABD) न्यूज पंजाब/पश्चिम बंगाल : लेखक, प्रहलाद प्रसाद उर्फ पारो शैवलिनी सुरक्षा संघ के बंगाल प्रदेश प्रभारी ...ये एक गंभीर समस्या है कि आज किसी भी रंगमंच को दर्शक नहीं मिलते। जब हम और आप इस समस्या का हल ढूंढ़ने निकलते हैं तो एक ही बात सामने आती हैं और वो ये कि आज का सोशल मीडिया इसके लिए खतरा बना हुआ है। सिर्फ रंगमंच ही क्यों मनोरंजन से जुड़े हर वो विधा जिसमें आज का सिनेमा भी शामिल है,इस समस्या से जूझ रहा है। सिनेमा को तो फिर भी उसकी लागत से कई गुना की कमाई हो जाती है। इसके उलट रंगमंच पर एक अच्छे नाट्य प्रदर्शन पर जो खर्च होता है उससे कमाई तो दूर लागत भर पैसा भी नहीं उठ पाता। 
इस स्थिति में नाटक का मंचन कर पाना हर एक कलाकार के लिए संभव नहीं है। सवाल यह है कि इसके लिए सोशल मीडिया किस तरह से जिम्मेदार है? आज की तारीख में हर एक इंसान पर मोबाइल बुरी तरह से छाया हुआ है। इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता। एक सच्ची बात यह भी है कि एक सम्पन्न परिवार में जितने सदस्य हैं सबों के पास एक-एक अति आधुनिक मोबाइल रहता ही है। जिसने परिवार के एक-एक सदस्य को अपने कमरों में कैद कर लिया है। आज का इंसान मोबाइल पर अपने पसंद का हर चैनल को देख पाता है। खास कर आज के युवा वर्ग,जो बुरी तरह से इसकी गिरफ्त में हैं और उसका मन छटपटाता भी नहीं है। रंगमंच के प्रति उसमें वो छटपटाहट कैसे पैदा किया जाए, आज सबसे बड़ी चुनौती है ये। *इसका जवाब अगर है आपके पास तो 8509479547 इस वॉट्सएप पर दे।

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