बाड़मेर:ABD NEWS राजस्थान राज्य ब्यूरो (असरफ मारोठी) इस्लाम बेहतर और अफजल मजहब, माहे रमजान में मोमीन जकात और फितरा अदा कर जरूरतमंद का रखे ख्याल : मौलाना सिद्दीकी
बाड़मेर/बालोतरा जिले में रमजान मुबारक के पवित्र माह के दूसरे जुम्मा की नमाज अदा करने मस्जिदों में उमड़ा मोमिनों का सैलाब मस्जिदों में नमाजियों को मुश्किल से जहां जगह मिली जहां जगह मिली वहीं अदा की नमाज, बाड़मेर जुम्मा मस्जिद में मौलाना लाल मोहम्मद सिद्दीकी ने जुम्मा की नमाज अदा कराने के दौरान अपनी शानदार तकरीर में कहा कि मजहबे इस्मलाम सबसे अफजल मजहब है। इस्लाम हमें सभी लोगों के साथ हमेशा भलाई और अच्छाइयों के साथ पेश आने का हुक्म देता है। उन्होंने अपनी तकरीर में कहा कि इंसान चाहे किसी भी जाति, मजहब का व्यक्ति क्यों न हो हमें हमारा मजहब सभी के साथ भलाई और अच्छाई के साथ पेश आने का हुक्म देता है। मौलाना सिद्दीकी ने कहा कि जकात देने से पहले हमें अपने आस पड़ोस को देखना चाहिए कहीं वहां हमारे आसपास कोई जरूरतमंद या असहाय हो तो जकात लेने का पहला हकदार भी वही है जो खुशियां के साथ ईद नहीं मना सकता, अगर हमारे आस पड़ोस में कोई नहीं है, तो फिर किसी अन्य गरीब या जरूरतमंद को जकात दी जा सकती है, ताकि वह अपनों के बीच ईद की खुशियों को बांट सके। यह बात जामा मस्जिद के पेश इमाम हाजी लाल मोहम्मद सिद्दीकी ने आज माहे रमजान के दूसरे जुम्मे के खिताब मे कही। बाद नमाज के खुदा की बारगाह में हजारों हाथ मुल्क की खुशहाली, अमनो अमान, गरीबों की खिदमत के लिए दुआओं को उठे। दूसरे जुमा के रोज आज रोजेदारों व नमाजियों से बाड़मेर शहर की तीन मंजिला जामा मस्जिद बालोतरा शहर की जामा मस्जिद सहित जिले भर की खचाखच भरी सभी मस्जिदों में जुम्मा की नमाज अदा की गई।
इस अवसर पर शाही इमाम ने कहा कि जकात में अपनी नकदी, सोने के गहनों का 2.5 प्रतिशत दिया जाता है। वहीं, फितरा सवा दो किलो गेहूं या फिर उसके बराबर की रकम दी जाती है। आप चाहें तो फितरा इससे भी ज्यादा दे सकते हैं। इसके पीछे सोच यही है कि ईद के दिन कोई खाली हाथ न रहे। कोई भूखा न रहे। कोई गमगीन न सोए। सभी के घर में खुशियों का माहौल हो। इस दौरान हजरत पीर सय्यद अब्दुल्लाह शाह जिलानी ने मुसलमानों को झूठ, फरेब, सूदखोरी, सट्टेबाजी, जुआ और जना करी से बचने की नसीहत देते हुए कहा कि वह अपने ईमान पर कायम रहकर मुल्क के प्रति वफादार बने। हम सभी को अपने वतन से बेहिसाब मुहब्बत करनी चाहिए। ताकि मुल्क में अमन, अमान और शांति बनी रहे। इस दौरान हाफिज मौलाना मोहम्मद तालिब ने माहे रमजान की बरकतों व रहमतों पर बारीकी से रोशनी डाली। इस मौके पर पूर्व राज्यमंत्री अशरफ अली तेली, पार्षद हाजी दीन मोहम्मद, हाजी अय्यूब तेली, शाह मोहम्मद सिपाही, हाजी सफी मोहम्मद गौरी, युवा समाजसेवी अबरार मोहम्मद, रफीक मोहम्मद कोटवाल, इमरान खान गौरी, हाजी अब्दुल रहमान टाइगर, मुख्तियार नियारगार, इलियास भाई तेली, हारून भाई कोटवाल, बच्चू खान कुम्हार, इकबाल मोहम्मद, शाहिद मोहम्मद इत्यादि गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
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